नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कई हफ़्तों से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नेता अब आपस में ही सिर-फुटव्वल पर उतर आए हैं। रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में ये फूट तब सामने आ गई, जब भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के प्रमुख गुरनाम चढूनी पर आंदोलन के नाम पर एक कांग्रेस नेता से 10 करोड़ रुपए लेने का इल्जाम लगा। अन्य संगठनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि गुरनाम चढूनी ने ‘किसान आंदोलन’ को सियासत का अड्डा बना कर रख दिया है और इसमें कांग्रेस नेताओं को बुला रहे हैं। आरोप लगाया गया कि हरियाणा के कांग्रेस नेता से उन्होंने रुपए लिए और वो दिल्ली में सक्रिय हैं। उनपर आरोप है कि वो कांग्रेस के चुनावी टिकट के बदले में हरियाणा में भाजपा-जजपा की सरकार गिराने के लिए भी डील कर रहे हैं। हालाँकि, चढूनी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है। ‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘किसान आंदोलन’ के 54वें दिन सभी किसान संगठनों ने मिल कर ऐलान किया कि उनका कोई भी नेता NIA के समन का पालन नहीं करेगा और किसी भी जाँच एजेंसी के सामने हाजिर नहीं होगा। वहीं ‘ऑल इंडिया किसान सभा’ के नेता और 8 बार के सांसद हन्नान मुला ने खुद को शीर्ष अदालत से की जा रही उस माँग से अलग कर लिया है, जिसमें बातचीत के लिए नए सिरे से समिति बनाने की बात कही जा रही है। दुनियाभर में 95 मिलियन के पार हुआ आंकड़ा आज बंगाल और असम के दौरे पर जाएगी EC की टीम, चुनाव को लेकर हो सकता है बड़ा ऐलान कोरोना वैक्सीन पर सुरजेवाला ने खड़े किए सवाल, पूछा- क्या गरीबों और वंचितों को मुफ्त में लगेगा टीका?