नई दिल्ली: दिल्ली की सरहदों पर विरोध प्रदर्शन के 6 माह पूरे होने के बाद अब ‘किसान आंदोलन’ ने उत्तर प्रदेश को अपना टारगेट बनाया है। किसान संगठनों का अगला टारगेट अब ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ है। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, ऐसे में इसके पीछे की सियासत समझी जा सकती है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने उत्तर प्रदेश में केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ करने की तैयारी आरंभ कर दी है। किसान संगठनों ने कहा है कि वो उत्तर प्रदेश समेत जिन भी राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, वहाँ भाजपा के विरुद्ध चुनाव प्रचार करेंगे। पश्चिम बंगाल में वो ऐसा कर भी चुके हैं, जहाँ योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत जैसे किसान नातों ने जाकर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लिए चुनाव प्रचार किया था। ‘ऑल इंडिया किसान सभा’ के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी सिर्फ चुनावी हार की भाषा समझते हैं, इसलिए किसानों के सामने अब यही एक रास्ता है। बता दें कि हन्नान मोल्लाह CPI (मार्क्सिस्ट) के नेता हैं और हावड़ा के उलूबेरिया से निरंतर 8 बार सांसद रह चुके हैं। लगातार 29 वर्षों तक सांसद रहने वाले मोल्लाह ‘किसान आंदोलन’ में काफी सक्रिय रहे हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) एक एक्शन प्लान भी बना रहा है। पूरे राज्य में कई ‘महापंचायत’ आयोजित कर के किसानों की भीड़ जुटाई जाएगी और भाजपा को हराने का नारा दिया जाएगा। लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुए पेय उद्योग, इतने प्रतिशत की आई गिरावट जीएसटी काउंसिल आज कोविड वैक्सीन और दवाओं पर छूट को लेकर करेगी चर्चा अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी के बाद भी अफगानिस्तान में काम रखेंगे जारी:- जर्मन विकास एजेंसी