किसान की आत्महत्या के मामले में पीसीसी टीम की जांच रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा

कर्ज से परेशान हो एक बार फिर एक  किसान की  आत्महत्या का मामला  सामने आया हैं. किसान सुरेश मरावी कर्ज के लिए मिल रहे नोटिस से तनाव में आकर ये कदम उठाया था. किसान पिछले तीन वर्ष से मौसम की मार झेल रहा था.  किसान की आत्महत्या के बाद प्रशासन ने हरकत में आते हुए फसल बीमा की राशि उसके खाते में जमा करवाई. किसान ने  8 जून को आत्महत्या कर ली थी.

बताया जा रहा हैं कि 6800 रुपए प्रति हेक्टेयर क्षतिपूर्ति की राशि के आधार पर किसान को 47600 रुपए मिलना थे. राशि बीमा कंपनी द्वारा दी जानी थी. लेकिन किसान को 13 हजार रुपए ही दिया गया. ये राशि भी किसान की मौत के बाद उसके खाते में पहुंचाई गई हैं.  रिकार्ड में किसान के नाम पर 18.66 एकड़ जमीन है.

इस मामले में  पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष का कहना हैं कि मरवाही में पिछले तीन साल से अकाल पड़ा हुआ है. ऐसे में उसे फसल बीमा की क्षतिपूर्ति राशि दी जानी चाहिए थी. पीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष का कहना हैं कि किसान ने अपना लोन भी चुकता कर लिया था उसके बाद भी बैंक द्वारा कर्ज पटाने के लिए नोटिस भेजी जा रही थी. 

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