रांची : किसान आंदोलन के बीच महाराष्ट्र, और तेलंगाना में किसानों की आत्महत्या की खबरें समाचारों की सुर्खियां बन चुकी है. इसमें अब झारखण्ड भी शामिल हो गया है. यहां कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया है. मिली जानकारी के अनुसार रांची से 40 किलोमीटर दूर कांके के पिठोरिया इलाके में रहने वाले कालेश्वर महतो पर बैंक का कर्ज था.इस साल फसल बर्बाद हो गई थी, उधर बैंक ने उन पर कर्ज वापसी के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया था और यही उनकी मौत का कारण बन गया. बैंक से एक बार में कर्ज चुकाने की बात सुनकर कालेश्वर बेहद तनाव में थे. ऊपर से इस साल उनकी मिर्च की फसल सूख गई थी और मूंग की फसल को पशुओं ने बर्बाद कर दिया था. कालेश्वर ने अपने सुसाइड नोट में बढ़ते बैंक कर्ज और फसलों को हुए नुकसान को इसका कारण बताया है. मृतक के भाई ने बताया कि कालेश्वर महतो ने बैंक से 10 हजार को ऋण लिया था, जब भाई की पत्नी बैंक का कुछ रुपया देने गई तो उसे बैंक से बताया कि कर्ज बढ़कर 50 हजार से ज्यादा हो गया है. इस खबर से दवाब में आये उनके भाई कालेश्वर ने आत्महत्या कर ली. बता दें कि देश में किसानों को लेकर मचे बवाल के बीच झारखण्ड में किसान की आत्महत्या करने की खबर से प्रदेश की रघुवर सरकार सकते में है. सरकार की ओर से तुरंत मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. मौके पर पहुंचे JMM के नेता हेमंत सोरेन से इसे सरकार की नाकामी बताया है. भले ही कांके के BDO ने आत्महत्या मामले की जांच शुरू कर दी है. लेकिन विकास का दावा करने वाली सरकार के एजेंडे से कहीं किसान तो गायब नहीं हो गए हैं यह सवाल यहां उठने लगा है. यह भी देखें कर्ज माफी की मांग को लेकर किसान ने स्मृति ईरानी पर फेंकी चूड़ियां किसानों की कर्ज माफी पर केंद्र का मदद से इंकार