राहुल गांधी में फारूक अब्दुल्ला को दिखे आदिगुरु 'शंकराचार्य'.., जमकर की तारीफ

श्रीनगर: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मौजूदा लोकसभा सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में 'भारत जोड़ो यात्रा' गुरुवार (19 जनवरी) की शाम जम्मू में प्रवेश कर गई है। जम्मू में यात्रा के प्रवेश करते ही पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस (NC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राहुल गांधी की जमकर प्रशंसा की। अब्दुल्ला ने कहा कि राहुल गांधी, शंकराचार्य के बाद ऐसी यात्रा निकालने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि ये 'राम' और 'गांधी' का देश है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि, 'सदियों पहले शंकराचार्य यहां आए थे। वह तब चले जब सड़कें नहीं थीं, मगर जंगल थे। वह कन्याकुमारी से पैदल चलकर कश्मीर गए थे। राहुल गांधी दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने उसी कन्याकुमारी से यात्रा निकाली और कश्मीर पहुंच रहे हैं।'  फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि यात्रा का मकसद नफरत के खिलाफ देश को एकजुट करना है। यह गांधी और राम का देश है, जहां हम सभी एक हैं ।

90 के दशक में कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के समय राज्य के सीएम रहे अब्दुल्ला ने कहा कि, 'इस यात्रा का मकसद भारत को एक करना है। भारत में नफरत पैदा की जा रही है और धर्मों को एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा किया जा रहा है। गांधी और राम का भारत वह था, जहां हम सब एक थे। यह यात्रा भारत को एक करने की कोशिश कर रही है। इसके दुश्मन भारत, मानवता और लोगों के दुश्मन हैं।' वहीं, आतंकवाद पर अब्दुल्ला ने कहा कि ये तब तक ख़त्म नहीं होगा, जब तक भारत सरकार पाकिस्तान से बात नहीं करती। हालाँकि, इस दौरान भी उन्होंने कश्मीर के मुस्लिम युवाओं से आतंकी न बनने की कोई अपील नहीं की। 

1991 में निकली थी एकता यात्रा:-

बता दें कि, कश्मीरी हिन्दुओ के नरसंहार के बाद भाजपा ने एकता यात्रा निकाली थी। यह यात्रा 11 दिसंबर को तमिलनाडु से शुरू होकर श्रीनगर पहुंची थी। इस यात्रा का नेतर्त्व मुरली मनोहर जोशी कर रहे थे, तो इसकी संयोजन की कमान मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों में थी। यात्रा 14 राज्यों से होकर गुजरी थी। 25 जनवरी, 1992 को यात्रा को पटनीटॉप में रुकना पड़ा था, मगर फिर भी मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने आतंकियों की तमाम धमकियों के बावजूद यात्रा के अंतिम पड़ाव लाल चौक पर पहुंचकर तिरंगा फहराया था। हालाँकि, राहुल गांधी भी पहले यहाँ तिरंगा फहराने वाले थे, लेकिन बाद में कांग्रेस ने लाल चौक की जगह अपने पार्टी दफ्तर पर ही झंडा फहराने का फैसला लिया है।  

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