फ़ारूक़ अब्दुल्लाह की मांग, बिना किसी शर्त के हुर्रियत नेताओं से बात करे भारत सरकार

श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व पीएम फारूक अब्दुल्लाह ने कहा है कि कश्मीर में केवल बातचीत के जरिए ही दीर्घकालिक शांति हासिल की जा सकती है और केन्द्र को हुर्रियत नेताओं के साथ इस बारे में बातचीत करनी चाहिए. तालिबान के साथ बिना किसी शर्त बातचीत करने के सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान को संदर्भित करते हुए अब्दुल्लाह ने गुरुवार को कहा है कि यदि सेना ऐसी हिदायत दे सकती है, तो केन्द्र को भी कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए हुर्रियत नेताओं से बातचीत करनी चाहिए.

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सेन्टर फॉर पीस एंड प्रोग्रेस की तरफ से आयोजित ‘जम्मू-कश्मीर, आगे की राह’ पर बोलते हुए अब्दुल्ला ने कहा है कि, हुर्रियत नेताओं के पास भारतीय पासपोर्ट हैं और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने भी उनसे चर्चा की थी. उन्होंने कहा है कि सेना और बल प्रयोग से कभी भी कश्मीर संकट का हल नहीं निकल सकता और स्थाई शांति केवल बातचीत से हासिल हो सकती है. 

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लोकसभा चुनाव के बाद कश्मीर मसले पर बातचीत शुरू होने की उम्मीद जताते हुए अब्दुल्ला ने कहा है कि हर बार चुनाव ने देश को जोड़ने के बजाए उसे विभाजित किया है. उन्होंने कहा है कि दिल्ली और कश्मीर के बीच अविश्वास है, जिससे देश में घृणा का माहौल पैदा हो गया है. रावत ने बुधवार को कहा था कि ऐसे समय में जब अमेरिका और रूस तालिबान से बातचीत कर रहे हैं, भारत को भी आतंकी संगठनों के साथ चर्चा करनी चाहिए,  वो भी बिना किसी पूर्व शर्त के.

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