मोहिनी एकादशी का व्रत एवं महत्व

समुद्र मंथन के समय देव संग्राम को समाप्त करने के लिए जब भगवान विष्णु ने अति मनमोहक स्त्री का रूप धारण करके देवताओ को अमृत पान करवाया पर राक्षसों को नहीं . उस दिन एकादशी तिथि होने के कारण इस दिन को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से बहुत ही फलदायी लाभ प्राप्त होता हैं. भारत में इस व्रत का बहुत महत्व हैं. 

मोहिनी एकादशी के महत्व के बारे में सर्वप्रथम भगवान श्री राम को ऋषि वशिष्ठ ने बताया तत्पश्चात भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर बतलाया था.इस व्रत के सम्बन्ध में महर्षि वशिष्ठ ने बताया हैं कि मोहिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से सब पाप नष्ट हो जाते है और अंत में मनुष्य गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को जाता है.

ऐसा माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन पूरी श्रद्धा से पूजन और व्रत करने वाले लोगों को जो पुण्य प्राप्त होता है वह कई तीर्थ और यज्ञ करने से ज्यादा होता है.इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करने से मोह आदि सब नष्ट हो जाते हैं. संसार में इस व्रत से श्रेष्ठ कोई व्रत नहीं है. इसके माहात्म्य को पढ़ने से अथवा सुनने से एक हजार गौदान का फल प्राप्त होता है.

सुनिए महर्षि वशिष्ठ के द्वारा मोहिनी एकादशी की कथा

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