यह पूरा मामला अमेरिका का है दरअसल अमेरिका के कोलोराडो में रहने वाले स्टर्लिंग बैकस का बेटा एक दिन वीडियो गेम खेल रहा था जिसमें लैंबोर्गिनी एवेंटाडोर कार का मॉडल था. उस गेम को खेलते समय स्टर्लिंग के बेटे ने उनसे सवाल किया कि डैड, क्या हम इसे बना सकते हैं. स्टर्लिंग को अपने बेटे के मासूम सवाल ने बहुत प्रभावित किया लेकिन उन्हें पता था कि वह पांच करोड़ की कीमत वाली लैंबोर्गिनी एवेंटाडोर खरीद नहीं सकते. स्टर्लिंग ने इस बारे में काफी सोचा और तभी उन्हें एक विचार आया कि वे कार खरीद तो नहीं सकते लेकिन बना तो जरूर सकते हैं. अस्पताल में भीख मांगकर गुजारा करती है ये महिला, लेकिन इनका बैंक बैलेंस जानकार चौंक जाएंगे आप.... आपकी जानकारी के लिए बता दे कि स्टर्लिंग बैकस, कोलोराडो के केएमलैब्स में चीफ साइंटफिक अफसर हैं. उन्होंने 3डी प्रिंटर का इस्तेमाल कर लैंबोर्गिनी एवेंटाडोर की एक हूबहू नकल तैयार कर ली. इसके लिए कई लोगों ने उनकी काफी तारीफ भी की. कार का 3डी मॉडल तैयार करने के बाद स्टर्लिंग के सामने चुनौती थी इसका ढांचा बनाने की जिसके लिए उन्होंने स्टील का चेसिस तैयार किया. इसमें उन्होंने 300 से भी अधिक हॉर्सपावर की ताकत वाला कॉर्वेट एलएस1 वी8 इंजन फिट किया. स्टर्लिंग के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती थी कार की बॉडी बनाने के लिए मेटेरियल का चुनाव करना. कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल हुई अजीबो-गरीब याचिका, मांग- दोषियों को जिंदा वापस भेजें यमराज... बता दे कि 3डी प्रिंटर के उपयोग से सिर्फ प्लास्टिक से बनी चीजें ही बनाई जा सकती हैं. प्लास्टिक के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि सड़क पर गर्मी से इसके पिघलने का खतरा रहता है और स्टील की तरह यह टिकाऊ भी नहीं होता जिससे सुरक्षा पर खतरा भी बढ़ जाता है. इस परेशानी से निपटने के लिए स्टर्लिंग ने हर पार्ट के ऊपर कार्बन-फाइबर की परत चढ़ाई और उसके ऊपर पेंट किया जिससे यह कार हल्की और मजबूत बन सकें. Google Doodle : कामिनी राय का जीवन था समाज को समर्पित, महिलाओं के लिए किया था ये काम अगर आपको नही पता तो बता दे कि स्टर्लिंग की कार बनकर तैयार हो चुकी है और कमाल की बात यह है कि 5 करोड़ रुपए की लैंबोर्गिनी एवेंटाडोर बनाने में उनके सिर्फ 20,000 हजार डॉलर यानी लगभग 14.23 लाख रुपए ही खर्च हुए हैं.कार के बारे में बताते हुए स्टर्लिंग कहते हैं कि वह लैंबोर्गिनी एवेंटाडोर जैसी दिखने वाली कार बना रहे हैं और इस कार को बनाने का मकसद यह है कि वह इस कार को स्कूलों में ले जाकर विज्ञान,टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स और मौथमेटिक्स के छात्रों को दिखाना चाहते हैं ताकि यह छात्र उस कार से कुछ सीख सकें. कब्र में दफनाते समय आवाज आने लगी मुझे बाहर निकालो, लोगो के घबराहट से छूटे पसीने परिवार कर रहा था अंतिम संस्कार, अचानक जिन्दा हो गया शख्स, डरकर भागे लोग शांति व्यवस्था रहे बरक़रार, इसलिए हिरासत में ले लिए गए हनुमान जी