मुंबई: महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने अपनी 13 वर्ष की बच्ची को दो वर्षों तक बांधकर रखने, मारने-पीटने और दुष्कर्म करने के इल्जाम में पिता को 17 वर्ष की कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि अपराध गंभीर था क्योंकि अपराधी नाबालिग का संरक्षक एवं अभिभावक था, मगर उसने इस प्रकार के जघन्य अपराध को अंजाम दिया। 53 वर्षीय शख्स ने अदालत में गुहार लगाई कि उसके पास पत्नी औऱ चार बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी है। इस पर अदालत ने कहा कि ये तर्क हालात नहीं बदल सकते। क्योंकि अपराधी द्वारा किया गया अपराध न तो दबाव में था तथा न ही नाबालिग पीड़िता की तरफ से उकसावे पर था। अदालत ने कहा कि अपराधी ने अपनी ही नाबालिग बेटी के खिलाफ इस प्रकार के अपराध किए। वो भी तक जब नाबालिग की देखभाल की जिम्मेदारी अपराधी पर थी। लिहाजा अपराधी नरम रुख का हकदार नहीं है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि नाबालिग ने अपनी मां को बचपन में ही खो दिया था। पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। पीड़िता अपने किसी रिश्तेदार के घर चली गई थी। उससे कई बार वापस घर लौटने के लिए कहा मगर वह हर बार घर लौटने से मना करती रही। हालांकि वर्ष 2016 में जब पीड़िता ने उन्हें यौन उत्पीड़न के बारे में बताया तो परिवार ने पुलिस स्टेशन जाकर मामला दर्ज कराया। अपराधी पिता ने यह तर्क दिया कि उसे उसकी पहली पत्नी के परिवार द्वारा झूठा फंसाया जा रहा है। क्योंकि उसने उनकी इच्छा के खिलाफ पुनर्विवाह किया था। हालांकि विशेष सत्र न्यायाधीश एजेड खान ने इसे स्वीकार नहीं किया तथा कहा कि पीड़िता का बयान अकाट्य और ठोस था। अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष यह दिखाने के लिए किसी भी तथ्य को रिकॉर्ड पर लाने में पूरी तरह से नाकाम रहा है कि नाबालिग पीड़िता ने अपने ही पिता के खिलाफ इतना गंभीर आरोप क्यों लगाया जबकि लड़की अब शादी कर चुकी है। इसके अतिरिक्त नाबालिग का बयान पीड़िता न सिर्फ अकाट्य एवं आश्वस्त करने वाला है, बल्कि शिकायतकर्ता (नानी) के बयानों का सही समर्थन भी करती है। 'मोदी की हवा है...', आखिर क्यों ऐसा बोले PK? ओवैसी के गृह क्षेत्र हैदराबाद से आतंकियों की बंपर भर्ती, लश्कर की खौफनाक साजिश का खुलासा ओशो के शिष्य ने मारी खुद को गोली, मचा हड़कंप