जाकिर नाईक के केस में मोदी सरकार से हुई बड़ी चूक

नई दिल्ली : भड़काऊ और कथिरूप से धार्मिक तौर पर बयान देने वाले मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरू जाकिर नाईक के मामले में सरकार पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए 4 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इन अधिकारियों ने बिना जांच किए जाकिर नाईक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को विदेशी फंडिंग वाला लाइसेंस रिन्यू कर दिया।

दूसरी ओर सरकार विदेशी फंडिंग की जांच करने में लगी है। बता दे कि जाकिर नाईक पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। जाकिर के भाषणों की सरकार द्वारा जांच की जा रही है। दरअसल जाकिर पर आरोप लगाया गया है कि जाकिर नाईक के भड़काऊ भाषणों को सुनने के बाद गुमराह होकर नौजवान आतंक की राह पर चले गए।

जाकिर की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को लेकर सरकार की चूक सामने आई है। दरअसल जाकिर की संस्था की विदेशी फंडिंग सवालों के घेरे में है। उनकी संस्था पर आरोप है कि संस्था को विदेश से फंड मिलता है जिसकी हेराफेरी भी हुई है। इस मामले में जांच की जा रही है। दूसरी ओर जाकिर के विवादित बयानों को लेकर सबूत जुटाए जा रहे हैं।

इस मामले में गृहमंत्रालय द्वारा कहा गया है कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की प्रचार सामग्री और फाउंडेशन की ओर से प्रकाशित हो रही मैग्जीन, पोस्टर को लेकर कड़े सबूत जुटाए जा रहे हैं। जाकिर नाईक का नाम विवादों में तब आया था जब बांग्लादेश के ढाका में हुए आतंकियों को जाकिर के भाषणों से प्रभावित माना गया था। इसके बाद भारत में उनके भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

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