हिंदू धर्म में पशु-पक्षियों को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। जी हाँ और कई पशु-पक्षियों की तो हिंदू धर्म में पूजा भी की जाती है। हालाँकि बहुत सारे पशु-पक्षियों को पितरों का दर्जा दिया गया है। इस लिस्ट में शामिल है कबूतर। कबूतर को दाना डालना सबसे बेहतरीन माना जाता है। जी दरअसल यह करना न सिर्फ आपको गृह शान्ति दिला सकता है बल्कि ग्रहों की शांति उनकी कृपा का भागी भी बना सकता है। केवल यही नहीं बल्कि इसके अलावा कबूतर को दाना खिलाने के भी कई ऐसे फायदे हैं जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए। जी दरअसल शास्त्रों में पानी पिलाने भोजन कराने को सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। ऐसे में केवल मनुष्य को ही नहीं बल्कि आपको पशु-पक्षियों को भी भोजन पानी जरूर देना चाहिए। जी दरअसल कई घरों में लोग नियमित कबूतरों को दाना डालते हैं उन्हें पानी भी पिलाते हैं। ऐसे में धार्मिक मान्यता के अनुसार उन्हें ऐसा करने से बड़े फायदे होते हैं। जी दरअसल कबूतर को शांति का प्रतीक माना गया है। खासतौर पर सफेद कबूतरों को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना गया है। हिंदू धर्म में कबूतर का महत्व- शास्त्रों के मुताबिक कबूतर को देवी रति का वाहन माना गया है। देवी रति को सौंदर्य की देवी एवं गंधर्व कन्या के रूप में उल्लेखित किया गया है। कहा जाता है देवी रति प्रेम के देवता कहे जाने वाले कामदेव की पत्‍नी थीं और कबूतरों को भी हमेशा शांति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ग्रहों के अनुसार कबूतर को क्या खिलाएं?- अगर आपकी कुंडली में राहु-केतु की स्थिति कमजोर है या फिर किसी ग्रह के साथ राहु-केतु बैठकर उसे कमजोर बना रहे हैं, तो आपको नियमित कबूतरों को बाजरा खिलाना चाहिए। जी दरअसल बाजरा खिलाने से आपकी कुंडली में राहु-केतु की दशा मजबूत होगी। - अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह चंद्रमा कमजोर है या फिर दोनों मिलकर गजकेसरी योग बना रहे हैं, तो आपको नियमित कबूतरों को चावल के दाने देना चाहिए। - अगर आपकी शादीशुदा लाइफ में कोई समस्या चल रही है तो आपको नियमित कबूतरों को ज्वार खिलाना चाहिए। - अगर नौकरी में समस्या आ रही है तो उसको दूर करने के लिए भी कबूतरों को भोजन करा सकते हैं। आप चने की दाल, भुट्टे के दाने उन्हें डे सकते हैं। इन राशियों को मालामाल करने जा रहा है आज का सूर्य ग्रहण सूर्य ग्रहण के बाद लाल रंग के फूल से करें ये टोटका, होगी धन की वर्षा शनि अमावस्या के दिन 12 बजे करें इन मन्त्रों का जाप, होगा महालाभ