नई दिल्ली : दुनिया भर के कई परम्पराएं मानी जाती हैं उन्ही में से एक प्रथा खतना भी है जो कई सालों से चली आ रही है और अब उसे ख़तम करने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं. खतना यानी फिमेल जेनिटल म्यूटिलेशन जिसमें मुस्लिम दाउदी बोहरा समुदाय की बच्चियों के साथ होती है. इस पर देश की सरकार का कहना है इस प्रथा से बच्चियों को नुकसान होता है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती. इसलिए यही बेहतर होगा कि इस प्रथा को खत्म कर दिया जाए. असम NRC ड्राफ्ट: बांग्लादेश का भारत को दो टूक आप जानते ही होंगे कि पहले सटी और देवदासी प्रथा भी चलाई जाती थी लेकिन उन प्रथाओं को भी महिलाओं को देखते हुए बंद किया गया है उसी तरह खतना भी बंद किया जाना है. वहीं चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यों के समक्ष सरकार ने कहा कि इस प्रथा को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बताया. लेकिन इस प्रथा को बंद करना थोड़ा मुश्किल ही रहेगा. इमरान खान को बड़े ही ख़ास अंदाज में पीएम मोदी ने दी जीत की बधाई दाऊदी बोहरा समुदाय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रथा का बचाव किया है और उस पर कहा है खतना को गलत बताना और इसे अस्वास्थ्यकर समझना गलत है. उसके आगे वो कहते हैं कि विशेषज्ञ डॉक्टर एफजीएम को यानी खतना को अंजाम देते हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अगस्त को की जाएगी. खबरें और भी.. न्यूजट्रैक की पैनी नज़र, पेश है देश और दुनिया की बड़ी खबर