नई दिल्ली: लद्दाख के बौद्ध और करगिल के मुस्लिम समुदाय के बीच पहले से जारी टकराव एक बार फिर सामने आया है. ताजा मामला 26 जनवरी पर निकलने वाली झांकियों को लेकर है. दरअसल, पहली दफा 26 जनवरी की परेड में लद्दाख जो कि अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है, उसकी झांकी (Ladakh tableau in Republic Day 2021) निकलेगी. किन्तु करगिल के लोगों ने आपत्ति जताई है कि इस झांकी में उनकी अनदेखी की गई है. ये बयान लद्दाख ऑटोनोमस हिल डिवेलपमेंट काउंसिल (LAHDC) करगिल के चेयरमैन फिरोज अहमद खान ने दिया है. उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल आर के माथुर को चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि झांकी में करगिल के “सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक” को नजर अंदाज किया गया है. हिल डिवेलपमेंट काउंसिल के फिरोज अहमद खान ने अपने पत्र में लिखा कि, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लद्दाख का केवल एक पहलू दिखाया जा रहा है. जबकि इसमें लद्दाख की समृद्ध और विविध धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया जाना चाहिए.’ आगे लिखा गया है कि यह करगिल की जनता को पराया समझने जैसा है. खान की ओर से आगे झांकी में परिवर्तन की मांग की गई है. इसमें करगिल जिले की धार्मिक/विरासत स्थल और सांस्कृतिक लोकाचार को शामिल करने की मांग की गई है. कहा गया है कि झांकी तय करने से पहले करगिल में किसी से चर्चा नहीं की गई. खान ने कहा कि लद्दाख का मतलब केवल लेह नहीं है, बल्कि इसमें करगिल भी शामिल है. भारत पेट्रोलियम कॉर्प नए ग्राहक वफादारी कार्यक्रम के तहत करेगा 10 गुना विस्तार बुलेट ट्रेन परियोजना: 7 फर्म पानी के नीचे सुरंग का निर्माण करने को है तैयार रिलायंस इंडस्ट्रीज नए केमिकल बिज़नेस का कर रही है प्लान