घोटालो पर FICCI का सरकार को सुझाव

दिल्ली: देश में इतने पुराने पंजाब नेशनल बैंक में  नीरव मोदी और उसकी पत्नी द्वारा किये गए इतने बड़े घोटाले  के बाद  सरकारी बैंको की निजीकरण की मांगे फिर से तेज हो गई है. इस बार उद्योग चैंबर FICCI ने साफ़  तौर पर सरकार से कहा है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के अलावा और कोई बेहतर रास्ता नहीं है. 

FICCI ने कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि सरकारी नियंत्रण के जरिए इस उद्देश्य को हम पूरा कर सकते हैं या नहीं. फिक्की अध्यक्ष राशेष शाह ने बयान दिया कि पिछले 11 वर्षों में सरकारी बैंकों को 2.6 लाख करोड़ रुपये की मदद पूंजीकरण के जरिए की जा चुकी है. लेकिन इससे इन बैंकों की स्थिति पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है. साथ ही यह कोई स्थाई समाधान भी नहीं है. दूसरी तरफ देश के 70 फीसद बैंकिंग कारोबार पर सरकारी बैंकों का हिस्सा है. लेकिन यह पूरा बैंकिंग ढांचा बढ़ते एनपीए से त्रस्त है. ऐसे में सरकार जिस तरह का आर्थिक समाजिक विकास चाहती है वह एक कमजोर बैंकिंग क्षेत्र की वजह से संभव नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि एक दिन पहले ही एक अन्य उद्योग चैंबर एसोचैम ने इन बैंकों में सरकार की न्यूनतम हिस्सेदारी की सीमा मौजूदा 52 फीसद से घटा कर 33 फीसद से नीचे ले जाने का विकल्प  दिया था.

रोटोमैक लोन घोटाले का काला सच

हर 4 घंटे में एक बैंक कर्मचारी देता है धोखा

जानें, कैसे नीरव को भारत लाएगी सरकार

 

Related News