यूट्यूब पर फिल्म प्रल्हाद का हुआ प्रीमियर, सच्चाई और ईमानदारी से कैसे करते है बिज़नेस इस फिल्म से सीखें

कुछ कहानी बिना कहे बहुत कुछ कह जाती है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार कर के अपना नाम और पैसा कमाना आसान नहीं होता, लेकिन नामुमकिन भी नहीं होता। एक ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है फिनोलेक्स ग्रुप के संस्थापक स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया की। प्रल्हाद छाबरिया के जीवन पर आधारित शॉर्ट फिल्म 'प्रल्हाद' 1 सितम्बर को यूट्यूब पर रिलीज़ हो चुकी है। फिल्म की कहानी देश के आंत्रेप्रेन्योर्स के लिए एक उम्मीद है, जिससे बिज़नेस करने वाले लोग सीख ले सकते है। कैसे बिना किसी झूठ-फरेब के अपने बिज़नेस को बुलंदियों पर ले जाया जाता है, इस फिल्म में यही दिखाया गया है।

1945 के समय को दर्शाती यह फिल्म, एक 14 साल के लड़के की कहानी है, जो अमृतसर में अपने पिता की मृत्यु के बाद नौकरी छोड़ देता है। अपने परिवार को पालने के लिए उसकी शर्ट की जेब में महज़ 10 रुपए थे। बॉम्बे जाने वाली ट्रेन में, वह यात्रियों से भरे एक डिब्बे में बैठता है जिसमे भारत की विविधता साफ़ नज़र आती है। हर यात्री के हाथ में उम्मीदों और आशाओं का थैला है, जो अपनी मंज़िल पर पहुंचने के इंतज़ार में है। जैसे प्रल्हाद, काम की तलाश में हैं और कोई पैसे कमा कर अपने घर भेजने की उम्मीद में। कुछ अपनी बीमारी के इलाज के लिए यात्रा कर रहे हैं तो कुछ इसलिए क्योंकि उनके पास जाने के लिए कोई और जगह नहीं है।

जैसे ही ट्रेन बंबई की ओर बढ़ती है, धुआं उठता है, और रास्ते में छोटे शहरों और गांवों में रुकता है, युवा प्रल्हाद अपने सह-यात्रियों के साथ बातचीत करता है। हस्ते-खेलते हुए अपनी ईमानदार मुस्कान के साथ वह लोगों के साथ सफर कर ही रहा था कि अचानक से वह अपनी शर्ट की जेब को पंद्रहवीं बार टटोलता है जिसमे उसके 10 रुपए थे। पर इस बार उसका 10 का नोट जेब से गायब था।

अपने आपको शांत और सहज रखते हुए वह उस दस रुपये के नोट को कैसे दोबारा पाता है, नैतिकता और सम्मान की एक मजबूत भावना प्रदर्शित करता है, यही इस कहानी का मुख्य आधार है। इस युवा लड़के के साथ हुई ये घटना आज के इंडियन आंत्रेप्रेन्योर्स के लिए एक मिसाल सेट करती है। लोगों के लिए समान मूल्य के प्रोडक्ट्स बनाना। किसानों, डीलरों, विक्रेताओं, कर्मचारियों और उनके परिवारों के साथ मजबूत और स्थायी संबंध बनाने के लिए सम्मान के साथ व्यापार करना जैसे गुण छाबरिया की कंपनी फिनोलेक्स समूह में सन्निहित है। 10 रुपये के नोट के साथ शुरू हुई यात्रा 10,000 करोड़ रुपये की कंपनी बनाने के लिए जारी रही (2016 तक मार्केट कैप) जब श्री प्रल्हाद पी छाबरिया का निधन हो गया। वह एक विनम्र विरासत फिनोलेक्स समूह को पीछे छोड़ गए जो आज भी उनके बच्चों और पोते-पोतियों के साथ चल रही है।

फिल्म 'प्रल्हाद' श्री प्रल्हाद छाबरिया की आत्मकथा 'There’s No Such Thing as a Self-Made Man' की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इस फिल्म को Finolex Industries के सहयोग से Schbang Motion Pictures द्वारा प्रोड्यूस किया गया है। यह एक बीते दौर को खूबसूरती से कैप्चर करने वाली पीरियड फिल्म है। फिल्म के मुख्य किरदार प्रल्हाद छाबरिया की भूमिका में लाखों में एक फेम ऋत्विक सहोर नज़र आ रहे है। इनके अलावा आबिद शमीम, अन्नपूर्णा सोनी, मनोज जोशी, भार्गवी चिरमुले  और चिनमय दास भी अहम रोल में दिख रहे हैं।

शॉर्ट फिल्म प्रल्हाद ने Prague International Film Festival, लंदन फिल्म एंड टेलीविजन फेस्टिवल और मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल समेत 22 वैश्विक और भारतीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार हासिल किये है। फिल्म का प्रीमियर यूट्यूब चैनल, Humara movie पर हो चुका है, आप आसानी से यूट्यूब पर जाकर यह फिल्म देख सकते है।

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