यह अनुभव किया गया है कि मेहनत और हमेशा प्रयत्न करने वाले एक न एक दिन अपनी मंजिल तक पहुँच ही जाते है. रास्ते कितने भी कठिन क्यों न हो,कहा ही गया है कि-हौशले बुलन्द है तो मंजिलें करीब है . इन्ही होनहार बालकों में एक ऐसा बालक जिसकी इक्छा थी की में आईआईटी में दाखिला लूंगा,उसका उद्देश्य था की में अपनी इस इक्छा को अवश्य पूर्ण करूंगा.वह इस क्षेत्र में जाने के लिए सतत प्रयत्न करता रहा,उसने आईआईटी में दाखिला के लिए परीक्षा दी पर मेरिट सूची में उसका नाम नहीं आया इसके बाद भी वह प्रयत्न में लगा रहा, वह आईआईटी की अंतिम मेरिट सूची का इन्तजार करता रहा परअंतिम मेरिट से लगभग 3000 रैंक पीछे था. देश की किसी भी आईआईटी और इंडियन स्कूल ऑफ माइंस में दाखिला नहीं मिला. वे छ: राउंड की काउंसलिंग पर नजर गड़ाए रहे मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी. नयन नाम के इस छात्र को बाद में कहीं से ऐसी खबर लगी कि 20 जुलाई, फाइनल राउंड की काउंसलिंग के बाद भी आईआईटी में सीटें बच गई हैं. उन्होंने 28 जुलाई को हाईकोर्ट का रुख किया. देश के भीतर प्रसारित होने वाले अंग्रेजी अखबार की मानें तो तमाम एडमिशन के बाद भी इन संस्थानों में 73 सीटें खाली थीं. इनमें से सबसे अधिक आईआईटी-बीएचयू में 38 सीटें खाली बच गई थीं. हाईकोर्ट ने इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि नयन को आईआईटी-रोपड़ में दाखिला दिया जाए. वहां एक सीट खाली रह गई थी. हाईकोर्ट ने इसके बाबत आईआईटी और देश के तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों स्पॉट राउंड काउंसलिंग की सलाह भी दी है. ताकि भविष्य में कोई भी सीट खाली न रहे और जरूरतमंद स्टूडेंट्स को इन संस्थानों में दाखिला मिल सके. पेंट्स इंडस्ट्री में करियर बना पाएं लाखों में सैलरी कृषि अनुसंधान में करियर की प्रवाल सम्भावना