वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माना, मुश्किल दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया कि विश्व के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था भी कठिन दौर से गुजर रही है. अर्थव्यवस्था में कितनी सुस्ती है और यह किन कारणों से हो रही है, इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है. एक किताब का विमोचन करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इसको पढ़ने के बाद लोगों को सही मायनें में पता चलेगा कि क्या वजह हैं, जिनसे ऐसा देखने को मिल रहा है.

दरअसल, भारत की विकास दर जून में, छह वर्ष के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. यह पांच फीसदी के स्तर पर थी. मांग में कमी के साथ ही निजी निवेश और वैश्विक बाजारों में ट्रेड वॉर के असर के चलते ऐसा देखने को मिला था. भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्तूबर माह मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए विकास दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत से घटाकर के 6.1 प्रतिशत कर दिया था. आरबीआई ने अनुमान लगाया था कि विकास दर वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रफ़्तार पकड़ेगी.

सरकार ने बाजार में आई सुस्ती को कम करने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कमी, सरकारी बैंकों में पूंजी निवेश और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का फंड तैयार किया था, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सके. इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी ने भारत की साख यानी क्रेडिट रेटिंग आउटलुक नकारात्मक कर दिया. इसे क्रेडिट को घटाने की दिशा में पहला कदम माना जाता है. मूडीज ने भले ही कहा कि सरकार आर्थिक कमजोरी का समाधान निकालने में आंशिक तौर पर कामयाब रही है, किन्तु आगे विकास दर नीचे रहने का जोखिम बढ़ गया है.

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