वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि मंत्रालय और विभाग अब राजकोषीय चिंताओं और बजट में खुलेपन को बढ़ाने के प्रयास में किसी भी संगठन को 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' प्रदान करने में सक्षम नहीं होंगे। मंत्रालयों और विभागों द्वारा 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' जारी करने से एक विक्रेता को परियोजना के वित्तीय समापन को अधिक तेज़ी से पूरा करने में मदद मिलती है। 31 मार्च को जारी एक कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों या अन्य संस्थाओं की 'लेटर्स ऑफ कम्फर्ट' जारी करने की क्षमता को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। इसमें कहा गया है, "अब से किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा कोई 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' जारी नहीं किया जाएगा। रेलमार्ग जैसे बुनियादी ढांचे के मंत्रालयों को परियोजनाओं पर काम करने वाले ठेकेदारों को 'लेटर्स ऑफ कम्फर्ट' जारी करने का अधिकार दिया गया था। इस बात की भी चिंता थी कि 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' शब्द का दुरुपयोग किया जाएगा। बजट में राजकोषीय जिम्मेदारी कानून के प्रावधानों के तहत सरकारी गारंटी की बारीकियों को शामिल करने की आवश्यकता होती है। भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 लोकसभा में पेश नेपाल के प्रधानमंत्री तीन दिवसीय भारत दौरे पर रवाना बेनकाब हुई PM मोदी को मारने की साजिश, धमकी भरे ईमेल में हुआ ये हैरतंअगेज खुलासा