बैकों का विलय देशहित में, वित्त सचिव का बयान

नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा देश के दस सरकारी बैंकों के विलय पर उठ रहे सवाल पर सरकार ने बयान दिया है। सरकार ने इस देशहित मे बताया है। सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाने से बैंकों के हालत पर अनुकुल असर होगा। वित्त सचिव राजीव कुमार ने इस बबात जानकारी दी है। राजीव कुमार ने कहा है कि नए भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए 12 सार्वजनिक बैंकों की संख्या बिल्कुल उचित है। इस एकीकरण के पूरा होने के बाद देश में राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी।

सरकार ने 30 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का एकीकरण कर चार बैंक बनाने की घोषणा की थी। कुमार ने कहा कि सरकार के इस फैसले से 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि, 'अगले चरण की वृद्धि को समर्थन के लिए देश को बड़े बैंकों की जरूरत है। बैंकों के विलय की जो बड़ी घोषणा हुई है उससे इसमें मदद मिलेगी।

अब हमारे पास छह बड़े आकार के बैंक होंगे। इन बैंकों का पूंजी आधार, आकार, पैमाना और दक्षता उच्च स्तर की होगी। कुमार ने बैंकिंग क्षेत्र के बही खातों को साफ सुथरा बनाने के अभियान की अगुवाई की है। उनके कार्यकाल में कई चीजें पहली बार हुई हैं। बैंकिंग इतिहास में उनमें सबसे अधिक पूंजी डाली गई है। इसी तरह पहली बार बैंक आफ बड़ौदा की अगुवाई में तीन बैंकों का विलय हुआ है। सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए विरोधी इससे नौकरियों में होने वाले नुकसान की बात कर रहे हैं। जबकि सरकार का कहना हैकि इससे नौकरियों  पर कोई खतरा नहीं है। 

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