जन के बाद अब धन की बेरुखी से जूंझती कांग्रेस

चुनाव प्रचार में बेशुमार दौलत खर्च करने वाले दल बीजेपी के सामने खड़े रहने के लिए कांग्रेस खुद को सक्षम बता रही है मगर संगठनात्मक ढांचे के साथ साथ दल का आर्थिक ढांचा भी चरमरा गया है. गंभीर वित्तीय संकट पर राजनीतिक जानकारों ने तो यहाँ तक दावा किया है कि इसके चलते 2019 में सत्ता में आना तो दूर भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने में भी कांग्रेस सक्षम नहीं रहेगी. देश के राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को दी गई रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी की कमाई बीते एक साल के दौरान 81 फीसदी बढ़ी वहीं कांग्रेस की कमाई में 14 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. बीजेपी की कमाई बढ़ने के लिए जहां देश के कई राज्यों में पार्टी की सरकार बनना जिम्मेदार है. वहीं कांग्रेस को हुए नुकसान की वजह कई राज्यों में उसके राजनीतिक रसूख में गिरावट दर्ज होना है. बीजेपी शासित राज्यों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है इससे पार्टी की कमाई पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुनी हो चुकी है.

आम चुनाव 2014 में नरेन्द्र मोदी के हाथों करारी हार का सामना करने के बाद से कांग्रेस को औद्योगिक घरानों से मिलने वाले चंदे में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है. ब्लूमबर्ग ने दावा किया है कि चंदे में कमी के बाद नोटबंदी से पार्टी के सामने कैश का गहरा संकट है. इसके चलते हाल के चुनावों में कांग्रेस को पार्टी के टिकट पर लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए चुनाव फंड का इंतजाम करने में क्राउड फंडिंग का सहारा लेना पड़ा. वहीं मार्च 2018 में केन्द्र सरकार द्वारा राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए लाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था में भी कांग्रेस को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस की सोशल मीडिया इंचार्ज दिव्या संपदना ने ब्लूमबर्ग को बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कांग्रेस को बीजेपी की अपेक्षा बेहद कम फंड मिल रहा है. गौरतलब है कि इलेक्टोरल फंड की प्रक्रिया शुरु होने के बाद से देश में राजनीतिक दलों को चंदे के लिए सिर्फ इसी का भरोसा है. इसके चलते अब कांग्रेस ऑनलाइन माध्यमों से क्राउड फंडिंग की अपील करते हुए फंड जुटाने की कोशिश में लगी है.

एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी की कमाई में 463.41 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ वित्त पर्ष 2015 में पार्टी की कमाई 570.86 करोड़ रुपये से बढ़कर 2016-17 में 1,034.27 करोड़ रुपये हो गई.  इस दौरान कांग्रेस की कमाई पिछले साल के मुकाबले 36.20 करोड़ रुपये कम हो गई.  वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान जहां कांग्रेस ने 261.56 करोड़ रुपये की कमाई की वहीं 2016-17 के दौरान उसे महज 225.36 करोड़ रुपये की कमाई हुई. बीजेपी को लगभग 1000 करोड़ रुपये का चंदा मिला है  कांग्रेस को इस दौरान महज लगभग 50 करोड़ रुपये बतौर चंदा मिला है.   कांग्रेस को कूपन के जरिए लगभग 116 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. वहीं एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान बीजेपी ने चुनाव और प्रचार के लिए कुल 606.64 करोड़ रुपये खर्च किए.  इस दौरान बीजेपी ने लगभग 70 करोड़ रुपये प्रशासनिक कार्यों के लिए खर्च किए.  वहीं इस दौरान कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के लिए लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च किए और प्रशासनिक कार्यों के लिए उसे लगभग 115 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. 

 

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