नई दिल्लीः इन दिनों पाकिस्तान दुनिया में कश्मीर मुद्दे को लेकर जबरदस्त शोर-शराबा कर रहा है। वह ऐसा नाटक कर रहा है जैसे उसके देश में कश्मीर के अलावा और कोई दूसरा गंभीर मुद्दा है ही नहीं। समय-समय पर वह भारत को युद्ध की धमकी भी देता रहता है। मगर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था उसके लिए आईने की तरह है। जो उसके गंभीर आंतरिक चुनौतियों को दिखाता है। पाकिस्तान कर्ज के भयानक बोझ तले दबा पड़ा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान को अगले तीन साल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की तुलना में चीन को लगभग दोगुनी राशि का भुगतान करना है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान को जून 2022 तक चीन को 6.7 अरब डॉलर का भुगतान करना है। यह आंकड़ा आईएमएफ ने दिया है, जिसने हाल में पाकिस्तान को बड़ा बेलआउट पैकेज दिया है। पाकिस्तान को अगले तीन साल में आईएमएफ को 2.8 अरब डॉलर का लोन चुकाना है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबे समय से चीन और आईएमएफ पर निर्भर है। पाकिस्तान, चीन के बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव का सबसे बड़े बेनिफिशियरी देशों में शामिल है और वित्तीय संकट के समय लगातार चीन से कर्ज लेता रहता है। हालांकि, चीन से मिलने वाला धन उसकी वित्तीय जरूरतों को हिसाब से पूरा नहीं होता है। इस वजह से उसे आईएमएफ के दरवाजे खटखटाना पड़ता है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान पर कर्ज बढ़कर 40.2 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपया हो गया है। पिछले साल के मुकाबले इसमें 10.3 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का इजाफा हुआ है। पाकिस्तान में कई विशेषज्ञ अब तो चीन समर्थित योजनाओं को देश के लिए बोझ मान रही हैं। प्रकाश जावडेकर ने अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती को लेकर दिया यह भरोसा विनिवेश प्रक्रिया में सरकारी अड़चनों को दूर करने के लिए सरकार ने उठाया यह कदम सरकारी बैंकों के कर्मचारियों को मिला दिवाली का यह तोहफा