बैंगलोर: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे औरसाथ ही उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले में किसी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है। उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब एक विशेष अदालत ने लोकायुक्त को उनके खिलाफ कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया और FIR दर्ज करने का निर्देश दिया, जिससे उनके खिलाफ जांच का रास्ता खुल गया है। इससे पहले हाई कोर्ट ने भी सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। इस घटनाक्रम पर सिद्धारमैया ने सवाल उठाया कि, "क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोधरा दंगों के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था? एचडी कुमारस्वामी, जो अब केंद्रीय मंत्री हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। क्या वह इस्तीफा देंगे?" उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह कानूनी रूप से लड़ेंगे और इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। यह बयान ऐसे समय में आया जब विपक्षी भाजपा ने कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी सिद्धारमैया के पद छोड़ने की संभावना को खारिज कर दिया। विशेष अदालत ने लोकायुक्त को तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है और FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इससे पहले, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने राज्यपाल द्वारा उनके खिलाफ जांच की मंजूरी को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि राज्यपाल असाधारण परिस्थितियों में स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं। MUDA मामले में आरोप हैं कि सिद्धारमैया की पत्नी बी.एम. पार्वती को मैसूर के एक उच्चस्तरीय क्षेत्र में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य उस भूमि की तुलना में अधिक था जिसे प्राधिकरण ने अधिग्रहित किया था। प्राधिकरण ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां आवासीय लेआउट विकसित किया गया था। मंत्री विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस ने दिल्ली बुलाकर फटकारा, लागू किया था 'योगी' वाला आदेश 'अब्बासी' लड़के ने 'अंसारी' लड़की से किया निकाह, फिर जो हुआ वो रूह कंपा देगा... देहरादून जाकर मस्जिद का मुतवल्ली बन गया यूपी का भगोड़ा खालिद मंसूरी, पुलिस ने दबोचा