'कल्याण बनर्जी पर दर्ज हो FIR', ओम बिरला को पत्र लिख BJP नेताओं ने की-मांग

नई दिल्ली: वक्फ बिल पर मंगलवार को हुई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में हुए हंगामे का विवाद अब भी जारी है। जेपीसी के 3 बीजेपी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर TMC सांसद कल्याण बनर्जी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने कहा कि हंगामे की जांच पूरी होने तक कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जाए।

वही इस चिट्ठी पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, अपराजिता सारंगी तथा अभिजीत गंगोपाध्याय ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं। चिट्ठी में उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से TMC सांसद को लोकसभा से निष्कासित करने पर भी विचार करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही, पूरे मामले को आचार समिति (एथिक्स कमेटी) को भेजने की मांग की गई है। चिट्ठी में कहा गया है कि वे कल्याण बनर्जी के "अक्षम्य हिंसक व्यवहार" के गवाह हैं तथा उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

वही अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ जिससे कल्याण बनर्जी का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने बोतल फोड़ दी। सूत्रों के मुताबिक, वक्फ बोर्ड की जेपीसी बैठक में ओडिशा पर प्रेजेंटेशन हो रहा था, जिसमें कई महत्वपूर्ण हस्तियां, जैसे सेवानिवृत्त न्यायाधीश तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता, मौजूद थे। कल्याण बनर्जी अपनी बात रखने के लिए अपनी बारी का इंतजार नहीं कर रहे थे, जबकि उन्हें पहले ही तीन बार बोलने का मौका दिया जा चुका था। इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने आपत्ति जताई। सूत्रों के अनुसार, इस पर कल्याण बनर्जी ने अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ अपशब्दों का उपयोग किया। 

हालांकि, दावा किया जा रहा है कि दोनों प्रकार से अपशब्द कहे गए। फिर बहस तेज हो गई तथा TMC सांसद ने कांच की बोतल मेज पर पटक दी, जिससे वह घायल हो गए। बाद में आप सांसद संजय सिंह और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी उन्हें उपचार के लिए ले गए, जहां उनके हाथ में चार टांके लगे। गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर देश में राजनीतिक माहौल गर्म है। मोदी सरकार ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 एवं मुसलमान वक्फ (समाप्ति) विधेयक 2024 पेश किए थे। सरकार का कहना है कि इन विधेयकों का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में सुधार लाना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है। विपक्ष ने कुछ प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की थी, तत्पश्चात, इस मामले को आगे की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया।

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