ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों में हुए संघर्ष से पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों ने 20 दिसंबर को 17वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की। इसमें पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों के समाधान पर फोकस किया गया। हालांकि, शेष मुद्दों के निराकरण की दिशा में आगे बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिला है। गुरुवार (22 दिसंबर) को यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने प्रासंगिक मुद्दों को हल करने के लिए खुले और रचनात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया। इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने करीबी संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक जरिये से संवाद बनाए रखने के साथ ही जल्द से जल्द लंबित मुद्दों के परस्पर स्वीकार्य निराकरण पर काम करने को लेकर सहमति जाहिर की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हाथ मिलाने और एक-दूसरे का अभिवादन करने के करीब एक महीने बाद कोर कमांडर स्तरीय वार्ता हुई है। चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर 20 दिसंबर को हुई इस वार्ता के संबंध में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि वार्ता सुबह लगभग साढ़े नौ बजे शुरू हुई और करीब 10 घंटे चली। बताया जा रहा है कि भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के गतिरोध वाले शेष बिंदुओं से संबंधित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने पर बल दिया। बयान में कहा गया कि 17 जुलाई को हुई पिछली बैठक (16वां दौर) की प्रगति के बाद, दोनों पक्षों ने खुले और रचनात्मक तरीके से पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से जुड़े मुद्दों के समाधान पर विचारों का आदान-प्रदान किया। भारत के बच्चे पढ़ेंगे गीता और वेद, NCERT की पाठ्य पुस्तकों में शामिल करेगी मोदी सरकार AAP ने शैली ऑबरोय को बनाया मेयर कैंडिडेट, भाजपा नहीं लड़ेगी चुनाव चीन विवाद के बीच और ताकतवर होगी भारतीय सेना, 84 हजार करोड़ की खरीद को मिली मंजूरी