नई दिल्ली: भारत का रक्षा क्षेत्र में तेजी से बढ़ता हथियार निर्यात आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एक समय था जब भारत दुनियाभर से अपने रक्षा उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति करता था, लेकिन अब यह स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि दुनिया के करीब 100 देशों को अपने हथियार और रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है। वर्तमान में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। मोदी सरकार का लक्ष्य इस उत्पादन को 2028-29 तक 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का है। यह तेजी से बढ़ता हथियार उत्पादन और निर्यात भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी सफलता का प्रतीक है। भारत ने हाल के वर्षों में कई देशों के साथ महत्वपूर्ण रक्षा सौदे किए हैं। उदाहरण के लिए, इसी साल अप्रैल में भारत ने फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर की डील की, जिसमें भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की आपूर्ति का समझौता किया। इसके अलावा, आर्मेनिया भारत का सबसे बड़ा हथियार खरीदार है, जिसे भारत आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, पिनाका मल्टी लॉन्च रॉकेट सिस्टम और 155 मिमी की आर्टिलरी गन निर्यात करता है। यह भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं के तेजी से बढ़ने का प्रमाण है। भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को "ब्रह्मास्त्र" के रूप में भी जाना जाता है, और इसकी वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, वियतनाम और मिस्र जैसे कई देश इस मिसाइल को प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि भारत ने विश्व स्तर पर अपनी मिसाइल तकनीक की एक मजबूत पहचान बना ली है। भारत न केवल मिसाइलें बल्कि अन्य रक्षा उपकरणों का भी निर्यात करता है। भारत कई देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट, नाइट विजन कैमरा, आर्टिलरी गन, आकाश मिसाइल, बख्तरबंद गाड़ियां और रडार जैसी तकनीक और उपकरण प्रदान कर रहा है। भारत की रक्षा निर्यात सूची में अमेरिका और फ्रांस भी शामिल हैं। अमेरिका भारत से हेलीकॉप्टर के पंखे और एयरक्राफ्ट के विभिन्न हिस्से आयात करता है। जबकि फ्रांस को भारत सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्यात करता है। यह सफलता मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना का परिणाम है, जो भारतीय रक्षा उत्पादन उद्योग को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। यह भारत की बढ़ती सैन्य उत्पादन क्षमता और वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति को भी दर्शाता है। एक समय जो देश अपने हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर था, वह आज अमेरिका और फ्रांस जैसे शक्तिशाली देशों को भी हथियार बेच रहा है। भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि और आत्मनिर्भरता से यह स्पष्ट होता है कि देश ने इस क्षेत्र में बहुत मजबूती हासिल कर ली है। इससे न केवल देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी भारत को लाभ हो रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की यह दिशा भारत को एक मजबूत और स्थिर राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है। भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और हथियार निर्यात में बढ़ोतरी, न केवल देश की रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की बढ़ती साख का भी संकेत है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारत अब न केवल अपने सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि अन्य देशों को भी आधुनिक और उन्नत हथियार और तकनीक प्रदान कर रहा है। भारत की यह सफलता न केवल उसकी सैन्य शक्ति को मजबूत करती है बल्कि उसे वैश्विक बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करती है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, भारत निस्संदेह रक्षा क्षेत्र में एक नई पहचान बना रहा है। जनगणना के चक्र में हुआ बड़ा बदलाव, अब सम्प्रदाय भी पूछ सकती है सरकार स्पेन के PM संग PM मोदी ने किया रोड शो, सामने आया VIDEO 'ऐसी छोटी बातों को देश का मुद्दा न बनाएं', रामभद्राचार्य की फटकार पर बोले अभिनव