नई दिल्लीः यमुना में जलस्तर बढ़ने के कारण आई बाढ़ से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। इन किसानों में मुख्यतः 200 छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं। इनकी करीब 40 लाख की फसल बर्बाद हुई है। किसानों का कहना है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि अब वे क्या करें या इस स्थिति से कैसे निपटें। मामले में इन गरीब और असहाय किसानों का कहना है कि यह फसल उनकी आय का एकमात्र जरिया थी और इस नुकसान से उबर पाना उनके लिए नामुमकिन सा है। 50 साल की चंद्रावती का कहना है कि उसकी पांच जवान लड़कियां हैं। उन्हें पानी का स्तर बढ़ने के खतरे के मद्देनजर सोमवार रात अपना घर छोड़ शिविर में पनाह लेनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि, 'हम दशकों से यमुना खादर इलाके में सब्जियों की खेती कर रहे हैं। मेरे पति भी यही करते थे। 2004 में उनके निधन के बाद से मैं अपनी पांच बेटियों के साथ खेती कर रही हूं। अब इसे बचाने के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं।' वहीं एक दूसरे किसान का कहना है कि, 'अधिकारियों ने पानी का स्तर बढ़ने के संबंध में हमें जानकारी दी। हमें 25,000 रुपये का नुकसान हुआ और इसकी कोई बात नहीं कर रहा है। यह हमारी आय का एकमात्र जरिया था।' नदी के पानी के खतरे के निशान से ऊपर आने से पहले 10,000 से अधिक लोगों ने निचले इलाकों से निकल निगमबोध श्मशान घाट में पनाह ली थी। यमुना नदी में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है। हरियाणा यमुनानगर में हथनीकुंड बैराज से 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़ चुका है। इस सेक्टर में होगा पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक का इनवेस्टमेंट कॉरपोरेट टैक्स को कम करने को लेकर वित्त मंत्री ने कही यह बात डायरेक्ट टैक्स कोड में हो सकता है बड़ा रिफॉर्म, कमेटी ने वित्त मंत्री को सौंपी रिपोर्ट