इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इन दिनों प्रकृति का कहर बरप रहा है। पड़ोसी इस्लामी मुल्क में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। चारों ओर पानी की विनाशलीलाएं दिखाई दे रहीं है। इस आसमानी कहर में 1,350 लोग मारे जा चुके हैं। लगभग एक तिहाई पाकिस्तान जलमग्न हो गया है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इसी बीच उन बच्चों की जान भी मुसीबत में आ गई है, जो इस संकटकाल में पैदा हुए है। रिपोर्ट के मुताबिक, बारिश, बाढ़ से बेघर होने की पीड़ा के बीच कुछ मां जहां अपने नवजात बच्चों को लेकर चिंतित हैं, तो वहीं उन परिवारों के लोग भी चिंता में हैं, जिन घरों की महिलाएं प्रेग्नेंट हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का भी कहना है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हेल्थ सिस्टम पूरी तरह चरमरा चुका है। बाढ़ के बीच नवजात बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में हैं, तो वहीं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ती जा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिंध के खैरपुर नाथन शाह की निवासी एक महिला ने बताया है कि 14 अगस्त को भयंकर वर्षा हो रही थी, उसी दिन बेटी का जन्म हुआ। एक ओर खुशी का माहौल था, तो दूसरी ओर जान बचाने का चिंता थी। बाढ़ से घर नष्ट हो चुका था। अब कहां रहेंगे, ये ख्याल खाए जा रहा था। बड़ी जद्दोजहद से चादर और कुछ फर्नीचर समेटा और एक अस्थायी शिविर बनाकर जान बचाई। ये पीड़ा केवल एक महिला की नहीं, बल्कि पाकिस्तान में हजारों मांएं अपने नवजात शिशुओं को लेकर चिंतित हैं। रिपोर्ट के अनुसार, WHO का कहना है कि पाकिस्तान की विनाशकारी बाढ़ से महिलाएं और बच्चे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पाकिस्तान में WHO के प्रतिनिधि डॉ। पलिता गुणरत्ना महिपाल ने जानकारी दी है कि बाढ़ से देश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। लगभग 10 फीसद स्वास्थ्य संस्थान तहस-नहस हो गए हैं। मगर, सबसे बड़ी चिंता उन 12 लाख गर्भवती महिलाओं की है, जो इन दिनों बाढ़ के कारण बनाए गए अस्थायी कैंपों में रह रही हैं। इस देश ने अपनी सेना को दी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की खुली अनुमति, मचा हड़कंप 'भारत वापस जाओ..', भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल को मिली धमकी आखिर कैसे ब्रिटेन की महारानी बनी एलिज़ाबेथ?