फ़ूड पोइज़निंग एक आम समस्या है खराब खानपान में मौजूद बैक्टीरिया आदि के शरीर में जाने के बाद होने वाले संक्रमण को फूड प्वॉइजनिंग की स्थिति कहते हैं। ऐसा रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से होता है। खाना बनाते समय बरती गई लापरवाही, खुले में रखे भोजन में दूषित तत्त्वों के मिलने, सलाद पर बैक्टीरिया के जमने, गंदे पानी में बने भोजन, खाने में शादी या किसी अन्य पार्टी में बड़ी संख्या में बने खाने से भी अक्सर लोग बीमार होते हैं। इसका कारण खाना बनाते वक्त जरूरी साफ-सफाई या अच्छे खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल न होना है। इसके अलावा स्टोर कर के रखा गया खाना, अधपका अंडा, मीट, कच्चा दूध, पैक्ड आइसक्रीम और बासी खाने को बार-बार गरम कर खाने से फूड प्वॉइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है। शादी-पार्टी में खुले में रखा कच्चा सलाद, वासी ठंडा खाना और पुरानी रसमलाई बीमारी का प्रमुख कारण है। आइये हम आपको बताते है इनके शुरुआती लक्षण के बारे में। फूड प्वॉइजनिंग के लक्षण खाने के छह घंटे के अंदर आते हैं। कुछ मामलों में ये 5-10 मिनट में भी दिखते हैं। उल्टी के साथ पेटदर्द, बार-बार दस्त व जलन के साथ यूरिन, त्वचा रूखी होना, स्टूल में खून, बेहोशी या चक्कर आना मुख्य लक्षण हैं। कुछ गंभीर मामलों में पतले दस्त के साथ खून भी आता है। ऐसे में बिना देरी किए इलाज लें वर्ना रोगी के शॉक में जाने से मृत्यु हो सकती है। दूषित खाने से पीलिया हो सकता है जिसे मेडिकली फिको ओरल ट्रांसमिशन कहते हैं। इसके कारन बहुत से है पर कुछ ऐसे है की फूड प्वॉइजनिंग होने के बाद पेट में भोजन को पचाने में मददगार एंजाइम्स नहीं बन पाते हैं। ऐसे में आंतों की कार्यक्षमता कमजोर होने लगती है जिससे खाना पच नहीं पाता है। गैस व एसिडिटी की आम दवाओं समेत अन्य कई तरह की दवाएं लेते रहने से भी इन रोगियों में एसिड का सीक्रेशन नहीं हो पाता है जिससे अंदर ही अंदर फूड प्वॉइजनिंग की स्थिति बन जाती है। गर्भाशय में गाँठ के ये है लक्षण और इसका इलाज ज्यादा शॉपिंग करना बनाता है इस बीमारी का शिकार, जाने तांबे के बर्तन का इस तरह इस्तेमाल पहुँचता है स्वस्थ को नुक्सान