'एक जगह पर खड़ी ना रहे फूड वैन, लाइसेंस जरूरी', कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

देहरादून: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिले के भवाली-नैनीताल रोड, नैनीताल - हल्द्वानी एवं नैनीताल-कालाढूंगी रोड में लगाये जा रहे फूड वैनों के मामले में स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की है। मामले को सुनने के पश्चात् अदालत की खण्डपीठ ने जिला अधिकारी नैनीताल समेत अधिशासी अफसर नगर पालिका से पूछा है कि किस नियमावली के तहत इन्हें लाइसेंस दिया गया है।

अदालत ने कहा कि इनके लाइसेंसों की जांच कर दो हफ्ते में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। साथ मे अदालत ने यह भी कहा है कि फूड वैन एक जगह पर स्थिर न हो, इन्हें चलता रहना चाहिए। जिनके लाइसेंस नहीं हैं, उनको लाइसेंस निर्गत करें तथा नगर पालिका उनके कूड़े को वक़्त वक़्त पर हटाएं। जानकारी के लिए बता दें कि नैनीताल परिक्षेत्र में संचालित फूड वैनों के मामले में अदालत ने 16 फरवरी को स्वतः संज्ञान लेकर जिला अधिकारी व ईओ नगर पालिका से स्थित स्पस्ट करने को कहा था। अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि जिस वाहन को फूड वैन बनाया गया है उसका परमिट किसके लिए था। जिसपर आज जिला अधिकारी व अन्य अधिकारी अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए। 

अदालत ने जिला अधिकारी से पूछा कि किस नियमावली के तहत फूड वैन लगाने की मंजूरी दी गयी। जिला अधिकारी द्वारा अदालत को अवगत कराया कि इन्हें फूड वैन लगाने का लाइसेंस दिया गया है, मगर मोटर यान अधिनियम में इसका कोई प्रावधान नहीं है। जनहित याचिका में अदालत ने फूड वैनों के द्वारा पर्यटन स्थलों में गंदगी व शराब परोसने का भी संज्ञान लिया है। अदालत ने यह भी संज्ञान लिया है कि फूड वैन मालिक वाहन के टायर निकालकर उसके आसपास झोपड़ी एवं पक्की दीवारें भी बनाने लगे हैं। इसपर वन विभाग व लोक निर्माण विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। फूड वैन एक जगह पर स्थिर होने से जाम की स्थिति पैदा हो रही है। इसलिए इन्हें चलते रहना चाहिए। क्षेत्र में जितनी भी फूड वैन लगी हैं, वे सब पैसों वालों की हैं।

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