सेंटिआगो: चिली के वैज्ञानिकों के एक दल ने 2011 में अंटार्कटिका में एक रहस्यमय फुटबॉल के आकार के बराबर एक जीवाश्म की खोज की थी और इसे 'द थिंग' नाम दिया था. इस जीवाश्‍म को चिली के म्युसियम में रखा गया था. रहस्यमयी जीवाश्म की अब पहचान हो गई है और बताया जा रहा है कि यह एक नरम-खोल वाला अंडा है जो 68 मिलियन साल पूर्व का था. यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंडा है. ऐसी संभावना है कि यह एक किस्म के विलुप्त समुद्री सांप या छिपकली का अंडा है. वैज्ञानिकों ने कई वर्षों तक इस रहस्य को सुलझाने का प्रयास किया. 2018 में, एक जीवाश्म विज्ञानी ने सुझाव दिया कि यह एक अंडा हो सकता है, किन्तु स्कैन से पता चला कि अंडे के भीतर कोई कंकाल नहीं था. तब उन्हें इसके मोसासौर के साथ लिंक होने पर शक हुआ. मोसासौर 66 मिलियन वर्ष पूर्व अंटार्कटिक समुद्र में रहने वाली विशालकाय छिपकलियां थी. मोनासौर उसी वक़्त विलुप्त हो गईं थीं जब डायनासोर लुप्‍त हुए थे. यूनिवर्सिटी ऑफ चिली के बायलॉजी डिपार्टमेंट के एलेक्‍जेंडर वर्गस ने बताया है कि,"इस परिकल्पना को लेते हुए कि यह एक मोसासौर था, आप उस संबंध में स्टडी कर सकते हैं जो मौजूदा छिपकलियों और उनके अंडों के आकार और उनके वयस्क शरीर के आकार के बीच मौजूद है. उस प्रकार के विभिन्न आंकड़ों को लेते हुए, जैसे अंडे का आकार बनाम वयस्क तो आप एक समीकरण बनाकर एक अनुमान जताते हैं, कि मोसासौर यानी कि उस विशालकाय छिपकली का आकार क्या था, जिसका यह अंडा है. इन अनुमानों का कहना है कि यह ऐसा जानवर था जो लगभग सात मीटर से 17 मीटर लंबा (23 से 56 फीट) लंबा था. इसलिए, यह हकीकत में विशालकाय हो सकता है." अमेरिका ने बढ़ाई चीन की टेंशन, उइगर मुसलामानों वाले बिल पर ट्रम्प ने किए हस्ताक्षर तिब्बत पीएम बोले- गलवान घाटी पर चीन का कोई अधिकार नहीं, जिनपिंग सरकार का दावा गलत क्या समय में हर कोरोना मरीज के पास पहुंच पाएगी वैक्सीन ?