बदलाव करने के लिए उठाने पड़ते है सख्त कदम

किसी को बदलना या खुद में बदलाव करना आसान नहीं होता, कुछ बदलाव स्वतः होते है, किसी के हाथ में नहीं होते. किन्तु कुछ परिवर्तन हम खुद करना चाहते है. फिर भले ही यह आदतों को लेकर हो या करिअर में किसी बड़े बदलाव का मामला हो. कुछ बदलाव खुशिया देते है. किन्तु कुछ थोड़ी बेचैनी, थोड़े डर और थोड़े संशय के साथ आते है.

बदलाव में अज्ञात की और बढ़ने का भाव ज्यादा छिपा होता है. इसलिए डर, बेचैनी और संशय इसके साथ स्वाभाविक रूप से जुड़े है. बदलाव करना है तो सबसे पहले सुरक्षा की गारंटी का भाव छोड़ना होगा. अपने आप से यह सवाल करके बदलाव करना आसान बनाया जा सकता है. इनमे पहला सवाल है, आप बदलाव करना क्यों चाहते हैं? दूसरा यह है कि वो क्या तीन वजहें हैं, जिनके कारण बदलाव जरूरी है? तीसरा सवाल यह है कि बदलाव जिंदगी को कितना बेहतरी की ओर ले जा सकते हैं? चौथा यह कि क्यों आपको इस बदलाव से बचना चाहिए?

इन सवालों के जवाब आपके सामने आपको लेकर साडी स्थिति स्पष्ट कर देगी. इन से एक तरह की स्पष्टता आती जाएगी कि क्यों इस बदलाव के लिए रिस्क लेने से भी बचना नहीं चाहिए. जब हम किसी बदलाव की और बढ़ते है या इसके बारे में सोचते है तब कई तरह की रुकावट और बहाने अंदर और बाहर से सामने आने लगते है. इस तरह खुद ही बदलाव को रोकने की कोशिश करते है. किसी तरह की लत या आदत को यदि बदलना है तो मन से उठने वाले विरोध बहुत सख्त होता है. लोग भले ही खुद यह बदलाव चाहते हों. बदलाव के मामले में इंसान को दूसरो की अपेक्षा खुद के विरोध का सामना ज्यादा करना होता है. इसलिए बदलाव तकलीफदायक होते हैं.

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