इस तारीख से बारिश होने की संभावना

भारत के बदलते मौसम को लेकर भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल तट से एक जून को टकराने की परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई है. विभाग के अनुसार 31 मई को दक्षिण पूर्व और निकटवर्ती मध्य पूर्वी अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने का अनुमान है. गुरुवार को दक्षिण पश्चिम मानसून मालदीव कोमोरिन क्षेत्र के कुछ हिस्सों, बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों, अंडमान सागर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के शेष हिस्सों में आगे बढ़ा है.

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कयास लगाए जा रहे है कि अगले 48 घंटों के दौरान मालदीव-कोमोरिन क्षेत्र के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ेगा. मानसून की शुरुआत के लिए कुछ कारक जिम्मेदार होते हैं, जो कि साल दर साल बदलते रहते हैं. इन्हीं कारणों के चलते मानसून आगे बढ़ता है और पूरे भारत को बारिश में भिगो देता है. आइये जानते हैं इन कारकों के बारे में.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसी तरह से अरब सागर में उसी समय ऐसी प्रणालियां बनती हैं, जिनके परिणामस्वरूप मुख्य भूमि पर मानसून की शुरुआत होती है. लेकिन यह प्रणालियां तट से दूर अरब सागर के मध्य और पश्चिमी हिस्से की ओर जाती हैं. इससे अरब सागर में रहते हुए यह मानसून के आगे बढ़ने को रोक भी सकता है. इनमें से कुछ प्रणालियां तटीय कर्नाटक और गोवा तक मानसून को फैलाने में सहयोग देती हैं. वही, मानसून को बढ़ाने वाला तीसरा कारक साइक्लोनिक भंवर होता है, जो कि केरल और लक्षद्वीप क्षेत्र से दक्षिण पूर्व अरब सागर में पहुंचता है. मानसून को आगे बढ़ाने के लिए यह पश्चिमी तट की ओर जाता है.

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