नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 15 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाने वाले हैं। यह खबर सुनकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने खुशी जताई है। अब्दुल्ला ने कहा कि यह एक अच्छी बात है। हालांकि, आमतौर पर इन बैठकों में प्रधानमंत्री हिस्सा लेते हैं, लेकिन विदेश मंत्री का जाना भी सकारात्मक कदम है। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि जयशंकर एससीओ बैठक के अलावा भी भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को सुधारने और नफरत कम करने पर चर्चा करेंगे। कश्मीर में पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई और इज़राइल की निंदा की। उन्होंने कहा कि इजराइल जिस तरह से लेबनान, सीरिया, ईरान और फिलिस्तीन पर बमबारी कर रहा है, वह दुखद है। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया को बचाना है तो युद्ध इसका समाधान नहीं हो सकता, क्योंकि युद्ध निर्दोष लोगों की जान लेता है। विदेश मंत्री जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा पिछले एक दशक में किसी भी भारतीय विदेश मंत्री की पहली यात्रा होगी। इससे पहले, 2015 में सुषमा स्वराज "हर्ट ऑफ एशिया" सम्मेलन में भाग लेने पाकिस्तान गई थीं। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण इस बार भी द्विपक्षीय बातचीत की उम्मीद कम ही है। जब भारत ने पिछले साल एससीओ की मेजबानी की थी, तब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आए थे, लेकिन दोनों देशों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी। एससीओ की बैठक को ध्यान में रखते हुए, इस्लामाबाद में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पाकिस्तान आर्मी को संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत 5 से 17 अक्टूबर तक इस्लामाबाद में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया है। सेना की तैनाती के दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं – शंघाई सहयोग संगठन की बैठक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी का विरोध प्रदर्शन। इस वजह से पाकिस्तान की राजधानी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। अखिलेश के निर्वाचन क्षेत्र 'कन्नौज' में डकैती, योगेश यादव के घर 25 लाख की चोरी मुंबई में अजित पवार गुट के नेता सचिन कुर्मी की हत्या, जांच में जुटी पुलिस बाढ़ से नेपाल में हाहकार, भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ