बीसीसीआइ ने पूर्व भारतीय टेस्ट बल्लेबाज प्रवीण आमरे और कर्नाटक के बायें हाथ के पूर्व स्पिनर रघुराम भट्ट के खिलाफ हितों के टकराव का मामला पाया है। जबकि पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर को क्लीन चिट दी है, बोर्ड के लोकपाल न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एपी शाह ने इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की संचालन समिति के चेयरमैन राजीव शुक्ला को भी हितों के टकराव के मामले में बरी कर दिया है। गौरतलब है की मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) की प्रबंध समिति के सदस्य और आइपीएल टीम दिल्ली डेयरडेविल्स के कोचिंग स्टाफ आमरे के खिलाफ हितों के टकराव के मामले में शामिल होने को लेकर लोकपाल को शिकायत भेजी गई थी। लोकपाल ने आमरे की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें यह बताया गया था कि उन पर हितों के टकराव का कोई मामला नहीं है। न्यायाधीश शाह ने पाया कि इस मामले में बीसीसीआइ के नियमों के मुताबिक हितों के टकराव थे। बोर्ड के नियमों के मुताबिक, एक प्रशासक (जिसमें बीसीसीआइ की मान्यता प्राप्त इकाई की प्रबंध समिति के सदस्य भी शामिल हैं) या उसके करीबी रिश्तेदार को आइपीएल फ्रेंचाइजी का वेतन भोगी नहीं होना चाहिए। पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर पर भी हितों के टकराव के मामले का आरोप लगा था। वह एमसीए के उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के निदेशक (दोनों मानद पद) हैं। उन पर भी यह आरोप था कि वह जूनियर क्रिकेटरों के लिए अकादमी चलाते हैं। लोकपाल ने भट्ट पर भी हितों के टकराव का मामला पाया। वह कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) की प्रबंध समिति में होने के साथ-साथ अंडर-16 और अंडर-14 टीमों के चेयरमैन भी हैं और ब्रजेश पटेल अकादमी में भी काम करते हैं।