नई दिल्ली: राफेल सौदे को लेकर बहुत समय से विवाद जारी है और अब 'पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी' और 'कांग्रेस नेता आनंद शर्मा' ने भी इस बारे में बात की. दोनों का मानना हैं कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने संसद को गुमराह किया हैं और यह विशेषाधिकार का हनन हैं और इसके लिए अब कांग्रेस लोकसभा में नोटिस देगी. एके एंटनी का कहना हैं कि इस मामले में 'रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण' देश को गुमराह करने का कार्य कर रहीं हैं. एके एंटनी के अनुसार साल 2008 में कोई भी ऐसा समझौता नहीं किया गया था जो राफेल से जुड़ा हो. साल 2012 में जब 18 राफेल विमान सीधे आने वाले थे तब राफेल को एल-1 के तौर पर चुना गया था. उस समय उन 18 राफेल विमान के अलावा जितने भी विमान थे वह सभी एचएएल में बनने थे. राफेल बनाने वाली कम्पनी तकनीकी ट्रांसफर करती है. उन्होंने कहा कि जब 2008 में कोई समझौता ही नहीं हुआ था तो किसी गोपनीय शर्त का सवाल ही नहीं पैदा होता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना कैबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के ही विमान की कीमत अधिक कर दी. राहुल गांधी ने कहा कांग्रेस, BJP और RSS से सीखें आप सभी को बता दें कि कुछ समय पहले हुई संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बहुत बहस की गई और उस वक्त 'कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी' ने अपने भाषण में 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी' पर जमकर निशाने साधे. राहुल गांधी ने राफेल सौदे में गोपनीयता संबंधी समझौते की बात की. उन्होंने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर इस सौदे के प्रति ढीला-ढाला बर्ताव अपनाने का आरोप लगाया. राहुल गांधी ने संसद में दावा किया कि लड़ाकू विमान के सौदे में जरूर कोई ना कोई 'घोटाला' किया गया है. कांग्रेस नेताओं को राहुल की चेतावनी, ना करें गलत बयानबाज़ी वहीं इस बात पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें गलत ठहराया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. उन्होंने राफेल विमान सौदे में कोई भी घोटाला नहीं किया है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार भारत और फ्रांस के बीच साल 2008 में जो समझौता किया गया था वह गोपनीयता का समझौता था. खबरें और भी.. 12 राज्यों में कांग्रेस को कोई खतरा नहीं- चिदंबरम क्या सच में रवांडा से बहुत कुछ सीख सकता है भारत..? किसे मिला अविश्वास प्रस्ताव का फायदा