भाजपा में शामिल हुए दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत, जानिए क्या बोले?

नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव तब देखने को मिला जब नजफगढ़ से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत ने बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने बीजेपी मुख्यालय में पार्टी नेताओं मनोहर लाल खट्टर, दुष्यंत गौतम और हर्ष मल्होत्रा की मौजूदगी में आधिकारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ली।  

बीजेपी में शामिल होने के बाद कैलाश गहलोत ने कहा कि आम आदमी पार्टी को छोड़ने का फैसला आसान नहीं था। यह निर्णय उन्होंने रातों-रात नहीं लिया। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि किसी दबाव के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ी है। गहलोत ने साफ कहा कि उनका यह कदम व्यक्तिगत है और किसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के दबाव में नहीं लिया गया। गहलोत ने बताया कि वे एक वकील के तौर पर अपनी अच्छी-खासी प्रैक्टिस छोड़कर AAP से जुड़े थे क्योंकि उस समय पार्टी और अरविंद केजरीवाल में उम्मीद नजर आई थी। उनका मकसद हमेशा लोगों की सेवा करना था।  

अपने इस्तीफे में गहलोत ने AAP पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पार्टी अब अपने मूल सिद्धांतों से भटक गई है। पार्टी के नेतृत्व पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि "नए बंगले जैसे शर्मनाक और विवादित मुद्दों" ने उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया। गहलोत ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार अब लोगों की समस्याओं को हल करने के बजाय केंद्र सरकार से लड़ाई में समय बर्बाद कर रही है।  

गहलोत ने AAP के राजनीतिक एजेंडे को दिल्ली की जनता के लिए हानिकारक बताया। उनका मानना है कि इससे राजधानी में बुनियादी सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी राजनीति दिल्ली की सेवा के लिए शुरू की थी और वे इस मकसद से समझौता नहीं कर सकते।  AAP के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गहलोत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। केजरीवाल ने कहा कि  "यह उनकी मर्जी है, वे जहां चाहें जा सकते हैं।" 

कैलाश गहलोत दिल्ली सरकार में गृह, प्रशासनिक सुधार, आईटी और महिला एवं बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के प्रभारी थे। उन्होंने रविवार को मंत्रिपरिषद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। इस घटनाक्रम ने फरवरी में संभावित दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले सियासी माहौल गर्म कर दिया है। गहलोत के इस कदम को बीजेपी के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत और AAP के लिए झटका माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में यह बदलाव दिल्ली की राजनीति को कैसे प्रभावित करेगा।

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