नई दिल्ली: आज देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्मदिवस है, उनका जन्म आज ही के दिन 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के नजदीक पारोंख में हुआ था। देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्र जीवन में अनुसूचित जाति (SC), जनजाति (ST) और महिलाओं के लिए काफी कार्य किया है। उन्होंने अपने 12 वर्षीय सांसदी कार्यकाल में शिक्षा से संबंधित कई मुद्दों को उठाया और उन पर काम किया। उनके संबंध में ऐसा कहा जाता है कि वह वकील रहने के दौरान गरीब दलितों के लिए फ्री में कानूनी लड़ाई लड़ते थे। आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों की मदद का सिलसिला महामहिम बनने के बाद भी कम नहीं हुआ। जब वह राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत थे तब भी प्रत्येक पिछड़े तबके पर नजर रखते थे। वर्ष 2020 में कोविंद ने ढाबे पर काम करने को मजबूर बिहार के रहने वाले साइकिलिस्ट रियाज का हाथ थामा और उन्हें एक स्पोर्ट्स साइकिल भेंट की। इतना ही नहीं राष्ट्रपति ने ढाबे पर जूठन धोने वाले साइकिलिस्ट रियाज को सपने साकार करने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) में एडमिशन भी कराया। कोविंद का जन्म 30 मई 1974 में सविता कोविंद उनकी अर्धांगिनी बनीं। इनके एक पुत्र प्रशांत हैं और पुत्री का नाम स्वाति है। रामनाथ कोविंद भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले बिहार के 36वें राज्यपाल रहे थे। उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। गवर्नर ऑफ बिहार की वेबसाइट के मुताबिक, रामनाथ कोविंद दिल्ली उच्च न्यायालय में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील भी रहे थे। इसके साथ ही वह 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिग काउंसिल के सदस्य भी रहे थे। वह यूपी से भाजपा के दलित नेता के रूप में उभरे और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। पूर्व महामहिम रामनाथ कोविंद को बिहार की धरा से खास लगाव है। देश के प्रथम नागरिक बनने के बाद पूर्व राष्ट्रपति पहली दफा 9 नवंबर 2017 को तृतीय कृषि रोडमैप का उद्घाटन करने आये थे। इस कृषि रौडमैप में जैविक खेती के साथ- साथ उत्पादन बढ़ाने पर फोकस किया गया था। इसके बाद 15 नवंबर 2018 को राष्ट्रपति पद पर रहते हुए कोविंद दूसरी दफा बिहार आए थे। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा और NIT पटना के दीक्षांत समारोह में भी वे शामिल हुए थे। इसके साथ ही तीसरी मर्तबा राष्ट्रपति 25 अक्टूबर 2019 बिहार पहुंचे थे। उस दौरान राष्ट्रपति राजगीर की रत्नागिरी पहाड़ी के शिखर पर स्थित विश्व शांति स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव के उद्घाटन सत्र में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे थे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बिहार से खास लगाव होने का एक कारण भी है। रामनाथ कोविंद बिहार को अपनी कर्मभूमि के तौर पर देखते हैं। बता दें कि उन्होंने 8 अगस्त 2015 को बिहार के गवर्नर पद की शपथ ग्रहण की थी। रामनाथ राष्ट्रपति से पहले बिहार के गवर्नर रह चुके थे। इसके बाद वर्ष 2017 को राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाए जाने के बाद बिहार के राजभवन से सीधे राष्ट्रपति भवन के लिए वह विदा हुए थे। बिहार से संबंधित कई किस्से आज भी उनसे सुनने को मिल जाएंगे। असम को भारत से काटने की साजिश रचने वाले JNU स्टूडेंट शरजील इमाम को मिली जमानत आज रिटायर हो रहे मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक, थाम सकते हैं रालोद का दामन गुजरात दौरा: एम्बुलेंस को रास्ता देने के लिए पीएम मोदी ने रोक दिया अपना काफिला