पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन सफर

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 में श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी के घर हुआ जिस दिन को 'गुड गवर्नेंस डे' के रूप में भी मनाया जाता है. अटल जी ने अपने जीवनकाल में कई ऐसे काम किये हैं जिससे दुनियाभर में उनका नाम रोशन हुआ है. अपने प्रधानमंत्री वाले कार्यकाल में भी उन्होंने युवाओं के दिल में नए जोश को पैदा किया था और देश को एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया था. जानिए उनके और भी पहलु.

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शिक्षा : 

महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढकर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी. अटल जी की बी.ए. की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई. छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे. कानपुर के डी. ए. वी. कालेज से राजनीति शास्त्र में एम.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. इसके बाद उन्होंने कानपुर में ही एल.एल.बी. की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये. इसी के साथ डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में रहकर राजनीति का ज्ञान लिया साथ ही राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी किया.

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राजनैतिक काल : 

अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी और साल 1968 से 1973 तक राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लेकिन दूसरे साथियों की तरह उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेज दिया गया. 

साल 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके. उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और साल 1957 में बलरामपुर जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे. 

साल 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे. 1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया था. 

1980 में भारतीय जनता पार्टी बनाने में मदद की और अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी जी ने संभाला और वो बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे.  

16 मई 1996 को अटल जी पहली बार प्रधानमंत्री बने लेकिन लोकसभा में उनका बहुमत साबित नहीं हुआ और इसी के चलते उन्हें 31 मई 1996 त्याग पात्र देना पड़ा. उस दौरान 1998 तक वो लोकसभा के विपक्ष नेता ही रहे.

साल 1998 के में फिर चुनाव हुए और आमचुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और फिर प्रधानमंत्री बने. लेकिन एआईएडीएमके द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस ले लेने के बाद उनकी सरकार गिर गई.

साल 1999 में फिर आमचुनाव हुए और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए. इन चुनावों में वाजपेयी जी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया. इस बार गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ जिसके बाद वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने और कार्यकाल संभाला. 

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पोखरण : 

साल 1997 में अटल जी की सरकार ने भारत को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट शक्तियों से संपन्न देश घोषित कर दिया था. यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया था कि जासूसी उपग्रहों और तकनीकों से संपन्न दूसरे देशों को इसकी खबर तक नहीं लगी. दूसरे देशों ने भारत पर कई प्रतिबंध लगाए लेकिन अटल सरकार ने दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊचाईयों को छुआ. 

कवि अटल : 

अटल जी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे. उसी तरह अटल जी भी इस गुण में माहिर हैं. अटल जी ने अपनी कवितायेँ 'मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैदी कविराय की कुण्डलियाँ, संसद में तीन दशक, अमर आग है, कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें, बिन्दु बिन्दु विचार. इसी को देखते हुए गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था.

 

 

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