वाशिंगटन: चीन के वुहान से कोरोना वायरस के आने के बाद से ही कई देश चीन के खिलाफ हो गए है. वही यह भी कहा जा रहा है, की चीन का व्यवहार उकसाने और अस्थिरता उतपन्न करने वाला है. भारतीय सीमा के अलावा दक्षिण चीन सागर, ताइवान की खाड़ी और हांगकांग में उसकी हरकतों से तो यही व्यक्त होता है. भारत में रह चुके अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा शांति और स्थिरता के लिए चीन को बहुत बड़ी समस्यां मानते हैं. उसके इसी व्यवहार की वजह से पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रो में आठ सप्ताह तक भारत और चीन की सेना आमने-सामने डटी रही. बता दे, की गलवान घाटी में हुए खूनी हमले में भारत के 20 जवानों की शहादत से दोनों देशों के बीच तनाव अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया था. इस हमले में कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे, पर चीन ने कोई इसका स्पष्ट रूप से कोई खुलासा नहीं किया था. इलाके में तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई समय तक वार्ता हो चुकी है. वही इस बीच पूर्व अमेरिकी राजनयिक का कहना है, कि ड्रैगन विवादित दक्षिण चीन सागर के पूरे क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा जताता है. वही ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया व वियतनाम इस दावे के खिलाफ हैं. चीन ने यहां कई कृत्रिम द्वीप को स्थापित कर अपना सैन्य अड्डा भी बना लिया है. रिचर्ड वर्मा का कहना है, कि रणनीतिक दृष्टि से हिंद-प्रशांत क्षेत्र बेहद अहमियत रखता है और अमेरिका चाहता है, कि भारत यहां अपनी अहम भूमिका अदा करे. चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाजी को देखते हुए भारत, अमेरिका और कुछ अन्य ताकतवर देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं. तथा चीन के इसी रवैये के कारण कई देश चीन के खिलाफ हो गए है. सीने में दर्द भी कोरोना वायरस का लक्षण ! WHO ने दी बड़ी जानकारी बीते चार महीनों में पहली बार न्यूयॉर्क में मौत का कोई नया मामला नहीं हुआ दर्ज इस देश ने कट्टर इस्लामी नीतियों को किया दरकिनार, महिलाओं के हक़ में लिया ऐतिहासिक फैसला