चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहन सिंह ने याचिका दायर की है। यह याचिका जलियावाला बाग नरसंहार में अपने दादाजी की नृशंस हत्या के लिए मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर दायर की गई थी। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में बीते 98 वर्षों से मुआवजा शेष है। इस मामले में मोहन सिंह द्वारा कहा गया कि जलियावाला बाग में आयोजित सभा में भागीदारी के लिए कुछ ग्रामीणों के साथ दादाजी ईशर सिंह 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर पहुंचे थे। मगर अंग्रेजों द्वारा की गई गोलीबारी में उनकी मौत हो गई थी। मिली जानकारी के अनुसार मोहन सिंह के वकील ने कहा कि स्वाधीनता के बाद केंद्र और पंजाब राज्य की सरकारों द्वारा स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के लिए हितग्राही योजनाऐं चला रही हैं मगर इनके परिजन के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ लोगों को मिल नहीं पा रहा है। स्वाधीनता संग्राम सेनानी मोहन सिंह की ओर से उनके अभिभाषक ने याचिका दायर की। दरअसल मोहन सिंह काफी बीमार हैं। मोहन सिंह स्वाधीनता संग्राम सेनानी हैं और उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भागीदारी की थी इस दौरान उन्हें जेल तक जाना पड़ा था। वे 20 अक्टूबर 1942 से 24 जुलाई 1943 तक जेल में रहे थे। उन्हें वर्ष 2007 तक पेंशन मिली मगर फिर पेंशन वापस ले ली गई। दरअसल वे कम से कम 6 माह जेल में रहने के दावे के सबूत प्रस्तुत नहीं कर सके। मगर वे मुंबई उच्च न्यायालय गए जिसके बाद उन्हें पुनर्विचार याचिका दायर करने की अनुमति दी गई। आज से पासपोर्ट बनवाने के लिए आधार जरुरी हुआ मुंबई सीरियल ब्लास्ट का दोषी दौसा मुस्तफा अस्पताल में भर्ती, सीने में दर्द की शिकायत दुबारा हुआ आनंदपाल का पोस्टमार्टम, परिजनों ने शव स्वीकारा