स्वतंत्रता दिवस को अब कुछ दिन ही शेष रह गए है और जैसे-जैसे हम इस दिन की ओर बढ़ते जा रहे है वैसे वैसे हमारे मन में देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारियों की यादे भी ताजा होने लगी है। महात्मा गाँधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे बड़े-बड़े क्रांतिकारियों को तो देश का बच्चा-बच्चा जनता है, लेकिन आजादी से पूर्व देश में ऐसे भी कई क्रांतिकारी रहे है जिनके किस्से उतने ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाए थे। ऐसे ही क्रांतिकारियों में से एक है उत्तरप्रदेश के गंगेश्वरी क्षेत्र के मुनिदेव त्यागी। मारिया शारापोवा ने दमदार खेल के साथ वापसी की 1947 से पूर्व जब स्वतंत्रता संग्राम जोरों से चल रहा था और महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाश चंद्र बोस, और चंद्रशेखर आजाद समेत कई नेता और क्रांतिकारी देश के अलग-अलग कोनो में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे उसी दौर में उत्तर प्रदेश के मुनिदेव त्यागी अपने इलाके से अंग्रेजों को भागने के पुरज़ोर कोशिश कर रहे थे। आजादी के 70 सालों तक इस गाँव में नहीं फहराया गया तिरंगा मुनिदेव त्यागी और उनके नेतृत्व में उनके क्रन्तिकारी साथी पृथी सिंह, कैलाश देव, गंगा राम, राजेश्वर सिंह, मुंशी सिंह, छज्जू सिंह, छिददा सिंह, मुकुट बिहारी लाल शर्मा, हरवंश सिंह, वेदराम, अब्बन सिंह, पूरन चंद्र, बाबू सिंह, नेन सिंह, रामचरन शर्मा, अजब सिंह आदि ने गंगेश्वरी क्षेत्र में अंग्रेजो की नाक में दम कर के रख दिया था। ये लोग अंग्रेजों पर हमला कर के गंगा नदी को पार कर जंगलों में छिप जाया करते थे। गंगा नदी के बहाव को देखकर अंग्रेज उसमे तैरने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। आजादी के 71 साल बाद भी स्वास्थ्य के मामले में पिछड़ा है भारत इस वजह से आगे बढ़ी ‘विश्वरुपम 2’ की रिलीज डेट आज़ादी के बाद भारत में विकास