मुंबई: महाराष्ट्र में आठवीं कक्षा की एक मराठी पाठ्यपुस्तक में शहीद भगत सिंह और राजगुरु के साथ स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव का नाम नदारद होने पर पुणे के दो संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है। ब्राह्मण महासंघ और संभाजी ब्रिगेड ने कहा है कि इतिहास को विकृत करके पेश किया जा रहा है। 'मझया देशावर माझे प्रेम आहे (मैं अपने देश से प्रेम करता हूं) शीर्षक वाले पाठ में बताया गया है कि भगत सिंह, राजगुरु और कुरबान हुसैन ने देश के लिए अपनी शहादत दी, मगर इस पाठ में कहीं भी सुखदेव का नाम नहीं है। गौरतलब है कि सांडर्स हत्याकांड में क्रांतिकारी सुखदेव को ब्रितानिया सरकार ने भगत सिंह और राजगुरू के साथ ही 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ाया था। किताब में बताया गया है कि भगत सिंह, राजगुरु और कुरबान हुसैन ने देश के लिए फांसी के फंदे पर शहादत दी थी। हालांकि, इसमें यह कहीं नहीं कहा गया है कि हुसैन को शहीद ए आजम भगत सिंह और राजगुरु के साथ में ही फांसी पर लटकाया गया था। संबंधित अध्याय में भगत सिंह और राजगुरु के साथ सुखदेव का नाम न होने पर राज्य में खलबली मच गई है। प्रदेश की विद्यालय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि संबंधित अध्याय 2018 में सिलेबस में उस वक़्त शामिल किया गया था जब राज्य में भाजपा सत्ता में थी। उन्होंने कहा कि संबंधित पंक्ति जाने-माने लेखक दिवंगत यदुनाथ की पुस्तक से ली गई है और इसे उनके परिवार की इजाजत के बगैर नहीं बदला जा सकता। कांग्रेस नेता ने कहा कि सिलेबस केंद्र की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद ही बदला जा सकता है। ज्वेलर्स ने आपदा को अवसर में बदला, ऑनलाइन माध्यम से जमकर बेच रहे सोना कोरोना काल में भविष्य का डर ! इस पेंशन स्कीम से जुड़े 1.03 लाख नए सदस्य फीकी पड़ी सोने की चमक, चांदी ने पकड़ी रफ़्तार, जानें आज के भाव