सीरिया से लेकर ईरान-सऊदी तक आतंकी नसरल्लाह की मौत का जश्न, बस भारत में...?

तेहरान: हाल ही में इजरायली सेना ने लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह को मार गिराया, और इस घटना के बाद दुनिया भर में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। लंदन में इजरायली दूतावास के बाहर बड़ी संख्या में ईरानी नागरिकों ने इकट्ठा होकर नसरल्लाह के अंत पर जश्न मनाया। ये वही ईरानी लोग हैं, जिनका देश सरकार के स्तर पर इजरायल के खिलाफ है, लेकिन जनता का समर्थन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल के साथ है। सोशल मीडिया पर भी ईरानियों ने इजरायल का खुले दिल से धन्यवाद दिया और इसे आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत के रूप में देखा। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर  #IraniansStandWithIsrael जमकर ट्रेंड करने लगा। 

 

एक ईरानी नागरिक ने अपनी पोस्ट में कहा कि, "मैं अपनी खुशी को रोक नहीं पा रहा हूँ यह देखकर कि कैसे इजरायल हिजबुल्लाह का सफाया कर रहा है। ये वही आतंकवादी हैं, जिन्होंने ईरान में हमारी महिलाओं और बच्चों को मार डाला और उन्हें अंधा कर दिया। आज ईरानी लोगों को पता है कि यहूदी लोग उनके सबसे करीबी सहयोगी हैं।" यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि ईरानी जनता न केवल नसरल्लाह को आतंकी मानती है, बल्कि उसके खात्मे को एक जीत के रूप में देख रही है।

 

ईरानी लोग सोशल मीडिया पर #IraniansStandWithIsrael ट्रेंड करा रहे हैं, जिसमें कई लोगों ने इजरायली सुरक्षा बलों, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और आईडीएफ (इजरायल डिफेंस फोर्स) का खुले तौर पर धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि हिजबुल्लाह और उसके जैसे आतंकी संगठनों का सफाया करना केवल मिडल ईस्ट के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए जरूरी है। यहां तक कि सऊदी अरब, जो वर्षों तक इजरायल का विरोधी रहा है, के भी कुछ हिस्सों से समर्थन की आवाजें उठने लगीं। सऊदी के कुछ यूज़र्स सोशल मीडिया पर इजरायल को लेकर "अम इजरायल चाय", (Am Israel Chai) यानी "इजरायल के लोग जिएं" के नारे भी पोस्ट कर रहे हैं। यह बदलती वैश्विक राजनीति और आतंकी संगठनों के खिलाफ एकजुटता की भावना को दर्शाता है।

 

वहीं, दूसरी ओर भारत के कुछ हिस्सों से एक बिल्कुल अलग और चिंताजनक प्रतिक्रिया सामने आई। कश्मीर के कुछ इलाकों में हिजबुल्लाह के आतंकी सरगना नसरल्लाह की मौत पर मातम मनाया गया। यह देखना विचलित करता है कि जहाँ ईरान, सीरिया और सऊदी अरब जैसे इस्लामी देशों के लोग नसरल्लाह को आतंकवादी मानते हैं और उसकी मौत पर जश्न मना रहे हैं, वहीं भारत के कुछ मुस्लिम केवल मजहब के नाम पर उसके प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं।

 

यह सोचने वाली बात है कि भारतीय मुस्लिम, जो आम तौर पर आतंकवाद से पीड़ित रहने वाले कश्मीर जैसे इलाकों में रहते हैं, कैसे नसरल्लाह जैसे आतंकियों के समर्थन में आ सकते हैं ? ये वही हिजबुल्लाह है, जिसने न केवल इजरायल बल्कि मिडल ईस्ट के अन्य हिस्सों में भी निर्दोष लोगों की जानें ली हैं। नसरल्लाह की मौत का शोक मनाना इस बात की ओर इशारा करता है कि कुछ वर्ग अभी भी मजहब के नाम पर आतंकियों का समर्थन कर रहे हैं, भले ही वे उनके अपने समाज या देश को कितना भी नुकसान क्यों न पहुंचाते हों।

हिजबुल्लाह, नसरल्लाह की अगुवाई में, लंबे समय से मिडल ईस्ट में आतंकवाद का पर्याय रहा है। हिजबुल्लाह की गतिविधियाँ सीरिया से लेकर ईरान तक फैली हैं, और इसने निर्दोष नागरिकों को शिकार बनाया है। सीरिया और ईरान के कई मुसलमान अब इस आतंकी संगठन के असली चेहरे को पहचान चुके हैं और उसकी क्रूरता से तंग आ चुके हैं। यही वजह है कि इन देशों में नसरल्लाह की मौत का स्वागत किया जा रहा है।

 

भारतीय मुस्लिम समुदाय को इस मुद्दे पर गहराई से विचार करना चाहिए कि वे किस तरह के व्यक्तित्व और संगठनों का समर्थन कर रहे हैं। नसरल्लाह जैसे आतंकी न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं, बल्कि वह मानवता के भी दुश्मन हैं। मजहब के नाम पर आतंकवाद का समर्थन करना खुद अपने ही समाज के लिए खतरनाक है। आज ईरानी और सीरियाई लोग, जो नसरल्लाह की क्रूरता का शिकार रहे हैं, इजरायल को धन्यवाद कह रहे हैं और जश्न मना रहे हैं। यह उन लोगों के लिए भी एक सीख होनी चाहिए जो आतंकियों को हीरो मानते हैं।

नसरल्लाह की मौत ने मिडल ईस्ट और दुनिया भर में एक नए विमर्श की शुरुआत की है। जहां ईरानी और सीरियाई जनता ने आतंकवाद के खिलाफ इजरायल का समर्थन किया है, वहीं भारत के कुछ हिस्सों में नसरल्लाह जैसे आतंकियों के प्रति सहानुभूति चिंता का विषय है। यह समय है कि भारतीय मुस्लिम समुदाय इस बात पर आत्मचिंतन करे कि मजहब के नाम पर आतंकियों का समर्थन उनके देश और समाज के लिए कितना हानिकारक हो सकता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी एक देश या मजहब की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की लड़ाई है, और इसमें सभी को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।

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