कैसे शुरू हुआ हिजाब विवाद, क्या थी जमात-ए-इस्लामी की डिमांड ? पढ़ें इस मुद्दे की पूरी डिटेल

नई दिल्ली: कर्नाटक में शुरू हुए बुर्के विवाद के तार धीरे-धीरे इस्लामी कट्टरपंथियों से जुड़ते नज़र आ रहे हैं। बीते दिनों एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि किस तरह हिजाब पहन कर कक्षा में बैठने की जिद्द करने वाली मुस्लिम छात्राएँ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की स्टूडेंट विंग ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (CFI) से संपर्क में आई थीं। उसके बाद उन्हें हिजाब पहनने का विचार आने लगा और इसके बाद उन्होंने अपनी स्कूल यूनिफॉर्म के नियमों को ताक पर रख कर ये जिद्द पकड़ ली।

मुस्लिम छात्राओं द्वारा शुरू किए गए इस हंगामे के बाद जब हिंदुओं ने इसका विरोध किया, तो कुछ स्थानों पर उन पर पत्थर फेंके गए और एक जगह एक मुस्लिम छात्रा, हिंदू भीड़ के आगे आकर अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाकर पाकिस्तान तक में मशहूर हो गई। बता दें कि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि कॉलेज में लगभग 150 मुस्लिम छात्राएँ हैं, मगर आज तक ऐसी माँग नहीं की गई। कॉलेज के मुताबिक, ये 8 लड़कियाँ CFI से जुड़ी हुई हैं। लड़कियों ने भी स्वीकार किया है कि इन्होंने CFI के लोगों से काउंसलिंग ली थी। इनका कहना है कि शुरू में इन्हें लगा कि इनके अभिभावकों ने कोई फॉर्म साइन किया है, जिसके तहत हिजाब पहनना बैन है। मगर बाद में मालूम हुआ कि ऐसा कुछ नहीं है। लड़कियों के मुताबिक, हिजाब के लिए उनके परिजनों ने कॉलेज से बात की थी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसलिए वह स्कूल में खुद ही हिजाब पहनकर पहुंच गईं। बता दें कि अल्लाह-हू-अकबर कहने वाली मुस्कान खान को जमीयत उलेमा-ए-हिंद से 5 लाख रुपए का इनाम देने का ऐलान किया है।

रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर के महीने में कुछ मुस्लिम लड़कियों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था। जब PFI ने यह देखा, तो वो भड़क गए और बताया कि मुस्लिमों को नहीं पता था कि वो ABVP का प्रदर्शन है। उनकी CFI द्वारा काउंसलिंग कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक, इस पूरे मामले में न सिर्फ कट्टरपंथी समूह PFI का स्टूडेंट विंग अपनी भूमिका निभा रहा है, बल्कि जमात-ए-इस्लामी हिंद भी लड़कियों को हिजाब पहनाने के लिए जोर लगा रहा है। इससे पहले 30 दिसंबर 2021 को इसके छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन’ के लोग, प्रशासन अधिकारियों से इस्लामी ड्रेस कोड लागू करवाने के लिए मिले थे। बता दें कि जमात-ए- इस्लामी हिंद को इस्लामी ड्रेस कोड लागू करवाने के लिए सऊदी अरब से फंडिंग मिलती है। ये खुलासा गत वर्ष क्लबहाउस चर्चा के वक़्त हआ था कि इन संगठनों को जेद्दाह की अब्दुल आजिज यूनिवर्सिटी से पैसा आता है। इस संगठन को भारत सरकार ने प्रतिबंधित भी किया हुआ है।

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