नई दिल्ली: हमने सुना है कि किसी व्यक्ति की मौत होने के साथ ही उसके साथ हमारे सारे शिकवे-शिकायतें, नफ़रतें ख़त्म हो जाती हैं, लेकिन इरफ़ान के साथ ऐसा नहीं है. उन्होंने जीते-जी तो कुछ लोगों के ताने झेले ही, लेकिन मरने के बाद भी कुछ जाहिल उन्हें कोसने से बाज नहीं आ रहे हैं. बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार इरफ़ान खान के इंतकाल से एक ओर पूरा देश गम में डूबा हुआ है, वहीं कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी इस मौके पर भी सोशल मीडिया में ज़हर उगल रहे हैं. इसका कारण है, इरफ़ान खान का इस्लाम के कुछ रीति रिवाज़ों पर अपनी अपनी राय रखना. दरअसल अपनी फिल्म मदारी के प्रमोशन के समय इरफ़ान ने ईद के मौके पर होने वाली कुर्बानी को गलत बताते हुए कहा है कि बाजार से खरीदे गए बकरों से कुर्बानी नहीं कबूल होती। उन्होंने कहा था कि, ‘कुर्बानी का असली मतलब अपनी कोई प्यारी चीज कुर्बान करना होता है, ऐसी चीज जिससे आपका कोई रिश्ता जुड़ा हुआ हो, जो आपको सबसे अधिक पसंद हो। ईद से दो दिन पहले बकरा खरीद लें और उसकी कुर्बानी देना सही नहीं है।' इरफ़ान ने कहा था कि 'जब आपको उन बकरों से कोई लेना-देना नहीं है तो वो कुर्बानी कहां से हुई? इससे कौन-सी दुआ कुबूल होती है? हर आदमी अपने दिल से पूछे कि किसी और की जान लेने से उसको कैसे सबाब मिल जाएगा।’ इरफ़ान की यही साफगोई कुछ कट्टरपंथियों को रास नहीं आई और उन्होंने इरफ़ान की मौत पर भी अपनी अंदर भरी नफरत सोशल मीडिया पर उगल दी. मौत को पहले ही भांप चुके थे इरफ़ान, रुला देगी आपको उनकी यह मार्मिक चिट्ठी इरफ़ान की मौत के बाद ट्वीटर पर आया आंसुओं का सैलाब, फैंस ने कहा- 'आखिरी सांस तक याद रहोगे' इरफ़ान खान के निधन से दुःख में डूबे कांग्रेस नेता राहुल गाँधी, ट्वीट कर कही यह बात