हमारे ऐतबार की हद ना पूछ ग़ालिब...

1. हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, कि हर ख्वाहिश पे Rum निकले; जी भर के कभी ना पी पाया, क्योंकि जेब में पैसे कम निकले.

 

2. जब तुम अंगडाई लेते हो, हमारा दम निकल जाता है; ऐ ज़ालिम, ये बता नहाने में तुम्हारा क्या जाता है.

 

3. तेरे ग़म में तड़प कर मर जायेंगे; मर गए तो तेरा नाम ले जायेंगे; रिश्वत देकर तुझे भी बुलायेंगे; तुम ऊपर आओगे तो साथ बैठकर कुरकुरे खायेंगे.

 

4. हीर रो-रो कर रांझे से कह रही है; हीर रो-रो कर रांझे से कह रही है; . . हाथ छोड़ कमीने मेरी नाक बह रही है.

 

5. न वफ़ा का ज़िक्र होगा; न वफ़ा की बात होगी; अब मोहब्बत जिस से भी होगी; राखी के बाद होगी.

 

6. हमारे ऐतबार की हद ना पूछ ग़ालिब; उसने दिन को रात कहा और हमने पैग बना लिया.

 

7. तुम्हारी अदाओं पे मैं वारी-वारी; तुम्हारी अदाओं पे मैं वारी-वारी; क्या उधर लाइट आ री? इधर तो आ री - जा री, आ री - जा री.

 

8. ऐ दोस्त बांध ले कफन मे व्हिस्की की बोतल, कब्र मेँ बैठकर पिया करेगे; इन लङकियो से तो मिली बेवफाई, अब चुड़ैलों से सेटिंग किया करेंगे.

 

9. अर्ज़ किया है: मेरे इश्क के बालिंग ने उसके दिल का विकेट गिरा दिया; पर तक़दीर तो देखो, उसका बाप अंपायर निकला; . . मेरी बाल को "नो बाल" देकर फ्री हिट कर दिया.

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