ताओनिमा: जी7 के समूह देशों ने शनिवार (27 मई) को रूस द्वारा क्रीमिया के विलय के बाद अगर उसकी गतिविधियां प्रतिकूल रही तो उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने का संकेत दिया. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शक्तिशाली देशों के समूह के सामूहिक रुख का पालन करने के दबाव के आगे झुकने से इंकार तो किया ही जलवायु परिवर्तन और पेरिस समझौते पर अपनी राह अलग चुनने की बात कही. उल्लेखनीय है कि जी -7 देशों की बैठक में रूस द्वारा क्रीमिया के विलय के बाद अगर उसकी गतिविधियां प्रतिकूल रहीं तो उसके खिलाफ लगाये गये प्रतिबंधों को कड़ा करने के लिए समूह तैयार दिखा. हालांकि जी7 के बयान में रूस के लिए रियायत भी दिखी. बयान में कहा गया कि स्मरण है कि पाबंदियों की अवधि मिंस्क समझौतों में और यूक्रेन की संप्रभुता के सम्मान के लिए प्रतिबद्धताओं के रूस द्वारा पूरी तरह क्रियान्वयन से जुड़ी हैं. रूस अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे तो पाबंदियों को वापस लिया जा सकता है. वहीं जरूरत पड़ने पर हर्जाना बढ़ाने के लिए और प्रतिबंधात्मक कदम उठाने के लिए जी 7 तैयार दिखा.संगठन ने यूक्रेन के महत्वाकांक्षी और सुधारवादी एजेंडे को लागू करने में उसकी मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता दृढ़ता भी दिखाई. जबकि सदस्य देश अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शक्तिशाली देशों के समूह के सामूहिक रुख का पालन करने के दबाव के आगे झुकने से इंकार कर दिया. इसलिए गतिरोध बना रहा. यही नहीं . ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि वह अगले हफ्ते ही इस बारे में खुलासा करेगा कि वह अमेरिका को कार्बन उत्सर्जन कटौती को लेकर हुए पेरिस समझौते के साथ रखेगा या नहीं. जी -7के छह सदस्य देशों नेजहाँ 2015 के समझौते के साथ रहने की प्रतिबद्धता जताई वहीं अमेरिका अलग खड़ा रहा. यह भी देखें रूस से संबंधों को लेकर ट्रम्प के दामाद FBI की जाँच के दायरे में आए मोदी ने डोनाल्ड ट्रम्प को किया पीछे