शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं।जी हाँ और ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा जी का जन्मदिन माना जाता है। वहीं स्कन्दपुराण व वाल्मीकि रामायण के अनुसार इसी दिन महाराज भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा जी आई थीं। स्कंद पुराण में गंगा के अवतरण की चर्चा करते हुए कहा गया है कि: ज्येष्ठे मासे सिते पक्षे, दशम्यां बुधस्तयो:। व्यतीपादे गरानंदे, कन्याचंद्रे वृषे रवौ। हरते दश पापानि, तस्माद्दशहरा स्मृता।। अर्थात् इस दिन ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुध दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतीपाद, गर और आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृष राशि में सूर्य होता है इसलिए इसे गंगा दशहरा कहा जाता है। कहते हैं इस दिन मां गंगा का व्रत, गंगा स्नान और गंगा का विधिपूर्वक पूजन करने से उपासक को तीन प्रकार के शारीरिक, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक- इन दस पापों से मुक्ति मिल जाती है। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन गंगा में स्नान करने वाले को बैकुंठलोक की प्राप्ति होती है, ऐसा भी पुराणों में कहा गया है। जी हाँ और अगर किन्हीं कारणों से गंगा नदी तक पहुंचना संभव न हो, तो उपासक को अपने पास में ही किसी भी नदी या तालाब में स्नान करके तिलों का अर्पण करना चाहिए। इन मंत्रों का करें जाप- गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति। ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः। गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं, त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु। ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:। गंगा दशहरा के दिन इस एक काम को करते ही पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं जानिए यहाँ गंगा दशहरा पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त? 9 जून को है गंगा दशहरा, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त और शुभ योग