वाराणसी : जलीय जीव - जंतु अब गंगा में खुल कर सांस ले सकेंगे. वह भी गंगा के अति प्रदूषित जाजमऊ और वाजिदपुर जैसे क्षेत्र में. यहां अब डीओ डिजाल्‍विंग ऑक्‍सीजन का स्‍तर मानक के अनुरूप पहुंच गया है. वही पीएच के स्‍तर में भी यंहा काफी सुधार हुआ है. यदि ऐसा ही सुधार हुआ तो जल्‍द ही यहां के पानी का प्रयोग सिंचाई कार्य में भी किया जा सकेगा. यह खुलासा इसरो और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा की गई जांच के परिणाम में हुआ है. इस रिपोर्ट से वैज्ञानिक काफी हतप्रभ होने के साथ ही उत्‍साहित भी हैं. बता दे इसरो हैदराबाद के अनुराग मिश्रा और भरत, इसरो जोधपुर के सुशील कुमार, इलाहाबाद के डॉ. संतोष श्रीवास्‍तव, हिंमाशु, अलवर्ट और सीएसजेएमयू के डॉ. प्रवीण भाई पटेल, डॉ. अभिषेक चंद्रा और डॉ. अंकिता यादव की टीम ने एक सप्‍ताह पहले गंगा बैराज से लेकर वाजिदपुर के बीच करीब 20 स्‍थानों पर गंगा के पानी का सैंपल लिया था. इसके बाद टीम ने सैंपल की जांच शुरू की. अचानक हुआ स्तर कम डॉ. पटेल ने बताया कि बीते कुछ दिनों में कई नालों और टेनरी का प्रदूषित पानी गंगा में गिरना कम हुआ है. इसका असर नजर आ रहा है. हालांकि अब भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ गंदा और प्रदूषित पानी गंगा में मिल रहा है, क्‍योंकि जाजमऊ के बाद अचानक डीओ का स्‍तर कम हुआ है. कई बिंदुओं पर जांच चल रही है. पश्चिम बंगाल: जहाँ से गुजरी थी भाजपा की रैली, टीएमसी ने गंगाजल से पवित्र किया वो रास्ता गंगा नदी के लिए के लिए सरकार बना रही अनोखा संग्रहालय गंगाजल के यह टोटके आपको बना सकते हैं अमीर