दोस्तों आज तक आप लोग यही सोचते होंगे कि किसी भी देश में जिस धर्म के लोग निवास करते है, वहां उन्ही धर्मो के देवी-देवताओं कि मुर्ति होगी, पकिस्तान को ही देख लो आप लोगो को लगता होगा कि पकिस्तान में मुस्लिम समाज अधिक होते है और इसलिए वहां उन्ही के देवताओं कि मुर्ति होगी, लेकिन हम आपको बता दें कि जैसा आप सोंच रहे है वैसा नहीं है, पाकिस्तान में भी एक मंदिर ऐसा है जिसकी गिनती बड़े मंदिरों में कि जाती है जी हाँ दोस्तों पाकिस्तान में भी हिन्दू धर्म का एक ऐसा विशाल मंदिर है यह मंदिर हिन्दू धर्म का तीसरा विशाल मंदिर है, इस मंदिर में माता गौरी कि विशाल प्रतिमा रखी हुई है. यह मंदिर पाकिस्तान में सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में है, पकिस्तान के इस जिले में वैसे तो मुस्लिम समाज अधिक है लेकिन वहां हिन्दू धर्म के लोग भी निवास करते है इनमे से कुछ लोग आदिवासी है, पाकिस्तान के लोग इन आदिवासियों को थारी हिन्दू कहते है, इस मंदिर कि स्थापना 16 वी सदी के आस-पास कि गयी थी यह गौरी मंदिर स्थापत्य शैली राजस्थान और गुजरात कि सीमा पर बसे माउंट आबू के मंदिरों जैसी है यह मंदिर थार के बाकी मंदिरों कि अपेक्षा सफ़ेद पत्थर से बने इस मंदिर कि शायद ही कोई पूजा करता है. इस मंदिर के पास एक गाँव है जिसे गौरी गाँव के नाम से जाना जाता है स्थानीय लोगो कि मान्यता के अनुसार इस मंदिर को हिन्दू के एक अमीर व्यापारी ने भगवान पार्शवनाथ के लिए बनवाया था, भगवान पार्शवनाथ जैन धर्म के तेईसवे अनुयायी थे, देखा जाए तो यह मंदिर किसी वास्तुकला का एक नमूना बनकर रह गया है अगर कोई इस मंदिर कि देखभाल कर सकता है तो वह जैन धर्म के लोग ही कर सकते है यह मंदिर किसी और संस्कृति का नमूना भी माना जा सकता है क्योंकि इसकी वास्तुकला मिली-जुली हुई है, इस मंदिर की दिवारें मार्बल से सीढ़ीनुमाकार में बनी हुई हैं, मंदिर की गुमंद की छत के ऊपर नक्काशी की हुई है जो रख-रखाव की कमी के कारण अब हल्की होती जा रही है. एक मंदिर जहाँ नहीं है माता का सर, और होती है मनोकामनाएं पूरी शनि अमावस्या और शोभन योग, करें शनिदेव को प्रसन्न अगर पाना चाहते है सुख शान्ति तो करें ये उपाय नाथूराम गोडसे का मंदिर बनने से मचा बवाल